हर अपोनेंट के चेहरे में नजर आता है स्वर्ण पदक
मेरठ : फाइट ¨रग में उसकी निगाहें अपोनेंट अर्थात विपक्षी पर टिकी रहती हैं। मजबूत पंजों के साथ उसके हा
मेरठ : फाइट ¨रग में उसकी निगाहें अपोनेंट अर्थात विपक्षी पर टिकी रहती हैं। मजबूत पंजों के साथ उसके हाथ सामने वाले के चेहरे को पंच मारने को फड़कते रहते हैं। जमीन पर पांव संगीत की तरह थिरकते रहते हैं। और तभी पलक झपकते ही जमीन के पांव अपोनेंट के चेहरे का नक्शा बदल देते हैं। फिर क्या। विरोधी ढेर और उसके नाम एक और स्वर्ण पदक चढ़ जाता है। पिछले सात वर्षो से विशाखा राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में यही कहानी दोहरा रही है। वुशु की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में छह स्वर्ण व एक रजत पदक के साथ उसने एशियन व वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता में भी एक-एक कांस्य पदक अपने नाम कर रखा है।
बचपन से पसंद है खेलकूद
रोहटा रोड पर सरस्वती विहार की रहने वाली विशाखा मलिक को बचपन से ही खेलकूद में खासी रुचि रही है। स्कूल स्तर पर उसने कई तरह के खेलों में भाग लिया। सीबीएसई की राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में तीन बार हिस्सा लेकर दो स्वर्ण व एक रजत पदक के साथ उन्होंने वर्ष 2010 में स्कूली शिक्षा पूरी की। वर्ष 2013 में स्नातक करने के बाद वर्तमान में डायट से बीटीसी का प्रशिक्षण ले रही हैं।
पढाई व खेल का रहा संगम
विशाखा ने खेलकूद के जोश में कभी भी पढ़ाई से तालमेल बिगड़ने नहीं दिया। एक ओर जहां वर्ष 2008 में पहले वुशु राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ही विशाखा ने स्वर्ण पदक जीतकर अपने हुनर को सामने रखा वहीं उसी वर्ष कक्षा 10वीं में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उसके बाद मेरठ, महाराष्ट्र, झारखंड, हरिद्वार, जम्मू, कोलकाता, जयपुर और बिहार में आयोजित प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक और कक्षा 12वीं में 73 प्रतिशत, स्नातक में 67 प्रतिशत के साथ दोनों का समागम जारी रहा।
बालिकाओं को देना है प्रशिक्षण
विशाखा बताती हैं कि मार्शल आर्ट से उनका आत्मविश्वास को काफी हद तक बढ़ाया है। यह उनका आत्मविश्वास ही है कि उनके व्यक्ति्व को देखते हुए कोई लड़का उन्हें तंग करने की हिम्मत नहीं करता। वह आगे चलकर मार्शल आर्ट की प्रशिक्षक बनना चाहती है जिससे बालिकाओं को बेहतर प्रशिक्षण दे सकें। साथ ही शिक्षण के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है।
प्रोफाइल
लंबाई : पांच फुट 11 इंच
फाइट कैटेगरी : अंडर 75 व 70 किलो
पसंदीदा किक : हर फेस किक
प्रेरणाश्रोत : सानिया नेहवाल, मैरी कॉम
हॉबी : संगीत व नृत्य
अगला लक्ष्य : नवंबर-दिसंबर में पुणे नेशनल
पैशन : वुशु व खेलकूद
पिता : यशपाल सिंह मलिक (पुलिस विभाग)
माता : ब्रिजेश मलिक, गृहणी
भाई : हर्ष मलिक, बीकॉम अंतिम वर्ष
पदक चार्ट
वर्ष 2008 : वुशु नेशनल में प्रथम स्वर्ण पदक
वर्ष 2011 तक : लगातार चार वर्ष नेशनल में स्वर्ण पदक
वर्ष 2011 : वुशु वर्ल्ड चैंपियनशिप, टर्की में कांस्य पदक
वर्ष 2011 : 34वें नेशनल गेम्स, झारखंड में रजत पदक
वर्ष 2012 : वुशु नेशनल में रजत पदक
वर्ष 2012 : एशियन वुशु चैंपियनशिप, विएतनाम में कांस्य पदक
वर्ष 2013-14 : फिर लगातार दो वर्ष नेशनल स्वर्ण पदक।