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'खेल' प्रतिभाओं के साथ 'खिलवाड़'

मेरठ : क्रिकेट से लेकर अन्य खेलों में मेरठ के होनहारों की तूती बोलती है। लंदन ओलंपिक में एशिया की पह

By Edited By: Published: Tue, 30 Jun 2015 01:07 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2015 01:07 AM (IST)

मेरठ : क्रिकेट से लेकर अन्य खेलों में मेरठ के होनहारों की तूती बोलती है। लंदन ओलंपिक में एशिया की पहली जुडोका गरिमा चौधरी, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली अलका तोमर, क्रिकेट की पिच पर स्विंग की धाक जमाने वाले भुवनेश्वर, ट्रैक एंड फील्ड में नेशनल रिकार्ड बनाने वाले इश्तियाक, एवं अन्नू रानी, ओलंपिक में हाकी के जादुई क्षणों के गवाह रहे स्ट्राइकर एमपी सिंह ऐसे नाम हैं, जिन पर गर्व किया जा सकता है। सितम यह है कि खेल से संबंधित आधारभूत संरचनाओं के मामले में यह शहर हमेशा ठगा गया है।

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खेल है, पर व्यवस्था को टोटा

कैलाश प्रकाश एक मात्र सरकारी स्टेडियम है। यहां वालीबॉल, फुटबाल, हॉकी, कबड्डी, बैडमिंटन, जूडो, तीरंदाजी, जिमनास्टिक, शूटिंग के खेलों के लिए केवल एडहाक प्रशिक्षक हैं। वहीं क्रिकेट, एथलेटिक्स, बाक्सिंग और रेसलिंग में सरकारी प्रशिक्षक हैं। क्रिकेट, कुश्ती और बाक्सिंग के खिलाड़ियों के लिए हास्टल है। बाकी के लिए कुछ सुविधा नहीं।

गतिरोध

-एथलेटिक्स के लिए अब तक सिंथेटिक ट्रैक नहीं बन सका। पुराना शूटिंग रेंज दूसरे के कब्जे में है। -जिमनास्टिक हाल कबाड़ में तब्दील है। स्वीमिंग पूल में बच्चों के प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है।

-सन 2004 में दौराला के शाहपुर जदीद गांव में जनता इंटर कालेज के निकट लाखों रुपये की लागत से बना स्टेडियम अब दुर्दशाग्रस्त है।

-जिले में 34 राजकीय व 132 सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए महज 38 खेल शिक्षक मौजूद हैं।

-212 वित्तविहीन स्कूल भी बिना पीटीआई खेल का काम चल रहा है। जिले के महज नौ स्कूलों में पास बड़ा मैदान है।

घर से रुसवा हो रहे खिलाड़ी

मजबूरी में दर्जनों प्रतिभाएं दूसरे राज्यों में पलायन कर गईं और कई कतार में हैं। ओलंपियन गरिमा चौधरी हरियाणा से खेलने लगीं। एथलेक्टिस में भी कइयों ने पंजाब एवं हरियाणा ने संपर्क साधा है। अंतरराष्ट्रीय शूटर मोहम्मद असब एवं आमिर, एथलीट अन्नू रानी, निशा यादव, रचना यादव, मीनू यादव समेत दर्जनों खिलाड़ियों की लाखों रुपए की इनामी राशि के लिए वर्षो इंतजार करना पड़ा।

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जल्द बदलेगी स्टेडियम की तस्वीर

क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी मुद्रिका पाठक का कहना है कि जल्द ही स्टेडियम का चेहरा बदलेगा। करीब एक करोड़ रुपये की लागत वाले 120 मीटर सिंथेटिक ट्रैक बनाने के लिए एमडीए टेंडर जारी करने की तैयारी कर रहा है। कबड्डी के लिए भी सिंथेटिक मैट की मांग की गई है। जिमनास्टिक व शूटिंग रेंज के लिए निदेशालय से उपकरण मांगा गया है। बच्चों के लिए लर्नर पूल बनाने की तैयारी चल रही है।

इनका कहना है..

मेरठ में क्रीड़ा एवं मनोरंजन के लिए बहुत कम विकल्प है। यहां खेलों में राष्ट्रीय स्तर के मैदान तक उपलब्ध नहीं है।

राजेश सेठी, निदेशक, आकाश ट्रेडिंग कंपनी, सुभाष बाजार

स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री हब होने के बाद भी महज एक स्टेडियम है। बच्चों को खेलने के लिए उचित स्थान नहीं है।

-अरविंद गर्ग, सेवानिवृत्त बैंक कर्मी, शास्त्रीनगर

कुश्ती में सीमित संसाधन होने के बाद भी मेरठ की लड़कियां राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत रही हैं। लेकिन उन्हें स्पो‌र्ट्स कोटे में एक अदद नौकरी के लिए तरसना पड़ता है।

-डा. जबर सिंह सोम, कुश्ती प्रशिक्षक, सीसीएसयू।


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