परिस्थितिजन्य साक्ष्य बने सजा का आधार
मेरठ : रिटायर्ड जेई प्रेमवीर और उनकी पत्नी के कत्ल के केस में पुलिस के पास कोई चश्मदीद गवाह नहीं थ
मेरठ : रिटायर्ड जेई प्रेमवीर और उनकी पत्नी के कत्ल के केस में पुलिस के पास कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। 10 नवंबर 2008 को हुई वारदात के बाद दोनों सहेलियां अंजू और प्रियंका छिपकर मेरठ में टीपीनगर की कालोनी में रह रही थीं। पुलिस ने अंजू और प्रियंका की कत्ल में संलिप्तता के बाद उन्हें 17 नवंबर को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दोनों के पास से घर से लूटे गए कागजात, कैमरा, मोबाइल फोन, दो साड़ियां, किसान विकास पत्र, एफडी, वसीयत, ज्वैलरी और 50 हजार रुपये कैश बरामद दिखाया था। पुलिस के पास कोई ऐसा गवाह नहीं था, जिसने कत्ल होते देखा हो। ऐसे में पुलिस अपना पलड़ा मजबूत करने और दोनों सहेलियों को सलाखों के पीछे भेजने के लिए सबूत जुटाने में लग गई। इस प्रकरण में कोर्ट में प्रियंका के परिजनों ने उसी के खिलाफ गवाही दी। इसके अलावा पुलिस में फैंटम पर गश्त कर रहे दो पुलिसकर्मियों पवन सिंह व तेजपाल ने बयान दिया था कि उन्होंने अंजू व प्रियंका को कालोनी में वारदात वाली रात देखा था। इसके साथ ही दोनों के मोबाइल की लोकेशन और अन्य बिंदुओं को लेकर कोर्ट में साबित किया गया कि कत्ल अंजू और प्रियंका ने किया है। कोर्ट ने पुलिस द्वारा जुटाए सबूतों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोनों सहेलियों को दोषी करार दिया।
घर का कुत्ता ऊपरी
मंजिल पर मिला
प्रेमवीर के पास एक कुत्ता था, जो वारदात के वक्त घर के ऊपरी हिस्से में बंधा मिला। पुलिस का मानना था कि वारदात को अंजाम देने कोई परिचित ही घर में दाखिल हुआ होगा, जिसके चलते कुत्ता भी नहीं भौंका होगा। इस बात को भी केस डायरी में शामिल किया गया।
702 सेकेंड की थी मां से बात
पुलिस रिकार्ड के अनुसार वारदात वाले दिन प्रियंका की अपनी मां संतोष से फोन पर शाम के समय करीब 702 सेकेंड बात हुई। इस दौरान दोनों के बीच झगड़ा हुआ और बाद में दोनों सहेलियां अंजू व प्रियंका ने वारदात को अंजाम दिया। दोनों की लोकेशन भी वारदात के वक्त मेरठ में मिली थी।
प्रियंका को अगवा करने का कराया था मुकदमा
अंजू और प्रियंका के रिश्ते को लेकर प्रियंका के पिता प्रेमवीर और परिवार के अन्य लोग काफी विरोध कर रहे थे। इसी क्रम में अप्रैल 2008 में प्रियंका अपनी सहेली के साथ अमरोहा चली गई थी। परिजनों को जानकारी हुई तो वे भी अमरोहा पहुंच गए। इस दौरान काफी हंगामा हुआ था। प्रियंका के पिता ने अमरोहा थाने में प्रियंका को अगवा करने का मुकदमा अपराध संख्या 688/08 दर्ज कराया था।
वीभत्स केस बताते
हुए फांसी की मांग की
कोर्ट में जिला शासकीय अधिवक्ता अनिल तोमर ने इस केस को वीभत्स और क्रूरता की पराकाष्ठा बताते हुए अंजू और प्रियंका के लिए हत्या की सजा की मांग की। 2007 में अमरोहा में प्रेम-प्रसंग में महिला शबनम और उसके प्रेमी सलीम द्वारा महिला के परिवार के सात लोगों की निर्मम हत्या वाले केस का भी हवाला दिया। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने सलीम को फांसी की सजा बरकरार रखी थी। हालांकि कोर्ट ने अंजू और प्रियंका की उम्र और पुराना कोई आपराधिक इतिहास नहीं होने के कारण आजीवन कारावास की सजा ही सुनाई।
हाईकोर्ट के चर्चित केस
की सूची में शामिल
पिछले दिनों हाईकोर्ट ने मेरठ कोर्ट से स्थानीय स्तर पर चर्चित केस की लिस्ट मांगी थी। इस सूची में अंजू व प्रियंका द्वारा अंजाम दिया गया डबल मर्डर केस भी शामिल किया गया था।
नहीं हुआ नारको टेस्ट
इस केस की सच्चाई और तह तक पहुंचने के लिए पुलिस अंजू व प्रियंका का नारको टेस्ट कराने की बात कह रही थी। हालांकि जाने क्या कारण रहे कि दोनों सहेलियों का नारको टेस्ट नहीं हो सका।