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'तमंचे' पर पुलिस के आंकड़ों का 'डिस्को'

विनय शर्मा, मेरठ सब जानते हैं कि आंकड़ों में अपराध का समाजशास्त्र कभी दर्ज नहीं होता। यही वजह है कि

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 02:20 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 02:20 AM (IST)
'तमंचे' पर पुलिस के आंकड़ों का 'डिस्को'

विनय शर्मा, मेरठ

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सब जानते हैं कि आंकड़ों में अपराध का समाजशास्त्र कभी दर्ज नहीं होता। यही वजह है कि पुलिस मानने को तैयार नहीं कि पश्चिम का जरायम एके-47, कारबाइन और 9 एमएम पिस्टल जैसे अन्य घातक हथियारों के बूते फल-फूल रहा है। आरटीआइ के तहत मांगी जानकारी में पुलिस तमंचे की चौहद्दी से बाहर निकलने को तैयार नहीं। यह और बात है कि मुजफ्फरनगर में पुलिस का एक जवान एके-47 का शिकार बना। 12 लाख के इनामी अमित भूरा ने पुलिस के हथियार लूटे। सहारनपुर में मुकीम काला गैंग ने सिपाही की हत्या कर कारबाइन लूटी। देवबंद में एसपी देहात के गनर से एके-47 की लूट को क्या झुठलाया जा सकता है।

कौन नहीं जानता कि वर्चस्व की जंग में अपराधी गिरोह अत्याधुनिक हथियारों का खुलकर प्रयोग करते आए हैं। कुख्यात योगेश भदौड़ा, ऊधम सिंह, सुंदर भाटी, अनिल दुजाना, रॉबिन त्यागी, भूपेंद्र बाफर व अमित भूरा जैसे अपराधी वेस्ट की पुलिस के लिए सिरदर्द बने रहते हैं। अपहरण, लूटपाट और हत्या जैसी घटनाओं को लेकर चर्चित रहने वाला बागपत का राहुल खट्टा व मेरठ का प्रवीण शर्मा का गिरोह ऐसा है जिसके लिए 9 एमएम से लेकर तमाम प्रतिबंधित हथियार खिलौनों के मानिंद हैं।

गवाह हैं ये घटनाएं

मेरठ के ब्रह्मापुरी में 20 नवंबर 2014 को हुए तिहरे हत्याकांड, संजय गुर्जर मर्डर या सनसनीखेज पवित्र हत्याकांड में भी 9 एमएम का प्रयोग हुआ था।

पुलिस को घटनास्थल से 9एमएम पिस्टल के खोखे बरामद हो चुके हैं। वेस्ट यूपी के कई गिरोह ऐसे हैं, जिनके पास एके-47 से लेकर अन्य अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा है। खुफिया विभाग शासन और पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट तक भेज चुका है।

पुलिस ने ऐसे झाड़ा पल्ला

मेरठ के लोकेश खुराना द्वारा मांगी गई आरटीआइ में पुलिस अधिकारियों से पूछा गया था कि यूपी में ऐसे कौन से चिह्नित अपराधी, गिरोह, गैंग या माफिया हैं जो 9एमएम, .32 बोर, कारबाइन, एके-47 व अन्य अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग करते हैं। इस संबंध में यूपी पुलिस ने मेरठ जोन में कोई भी ऐसा गिरोह या अपराधी चिह्नित नहीं दिखाया है, जो इन असलहो का प्रयोग करता हो। मुजफ्फरनगर जिले ने तो चार माह बाद भी सूचना तक नहीं दी है।

गाजियाबाद में सबसे ज्यादा अवैध हथियार बरामद

पुलिस रिकार्ड के अनुसार, पुलिस ने वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2014 तक गाजियाबाद में 2716 अवैध हथियार बरामद किए। इनमें से 39 रिवाल्वर और करीब एक हजार पिस्टल और बाकी तमंचे थे। गाजियाबाद ने एक अपराधी के पास 9 एमएम की पिस्टल होना दर्शाया है। वहीं मेरठ जोन में पिछले चार साल में अवैध असलहो से मारे गए लोगों की संख्या भी गाजियाबाद में ही सबसे ज्यादा 581 रही है। दूसरा नंबर मेरठ का 309, जबकि बागपत 207 मौत के साथ चौथे स्थान पर है।


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