बालीवुड को भा रही हैं मेरठ की कहानियां
विवेक राव, मेरठ : बालीवुड में मेरठ का सिक्का सिर चढ़कर बोल रहा है। चाहे अभिनय का क्षेत्र हो, संग
विवेक राव, मेरठ :
बालीवुड में मेरठ का सिक्का सिर चढ़कर बोल रहा है। चाहे अभिनय का क्षेत्र हो, संगीत का या फिर स्क्रिप्ट का, हर जगह मेरठी छाए हुए हैं। यह अपने हुनर और हौसले से सफलता की नई गाथा लिख रहे हैं। मेरठ के रोहित राना, जिनकी स्क्रिप्ट को कभी मुंबई के डायरेक्टर फेंक देते थे, आज हाथों हाथ ले रहे हैं। मेरठ के युवाओं की लिखीं कहानियां आज छोटे से लेकर बड़े पर्दे पर लोगों के दिलोदिमाग पर छा रही हैं।
एनएसएस डिग्री कालेज से परास्नातक कर कुछ जगहों पर नौकरी करने वाले रोहित मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। मवाना के मसूरी गांव में अभी भी उनका परिवार रहता है। वर्ष 2007 में मुंबई पहुंचकर आज एक मुकाम बनाने वाले रोहित ने कभी मेरठ में प्राइवेट संस्थानों में एचआर, सेल्स आदि में काम किया। मुंबई की व्यस्तता से समय निकालकर तीन दिन के लिए मेरठ आए रोहित राना ने दैनिक जागरण से बात की।
रोहित बताते हैं आज बालीवुड पूरी तरह से बदल गया है। यहां या तो वैसे लोग सफल हैं, जिनके पास खोने को कुछ नहीं है या फिर ऐसे लोग जो काफी अमीर है और पैसे के दम पर कुछ हासिल कर सकते हैं। बचपन से एक राइटर बनने का ख्वाब देखने की वजह से वह मुंबई पहुंचे तो शुरू में किसी ने उनकी स्क्रिप्ट को देखा तक नहंीं, कई लोगों ने बाहर फेंक दिया। आज उन्हीं कहानियों को हाथोंहाथ लिया जा रहा है। फिल्म की सफलता के लिए एक स्क्रिप्ट की तलाश हर डायरेक्टर को रहती है। पहले फिल्म की सफलता के बाद केवल अभिनेता को सम्मान मिलता था, लेकिन अब डायरेक्टर और राइटर को भी महत्व मिलने लगा है। रोहित बताते हैं कि उत्तरी भारत, खासकर मेरठ और दिल्ली में फिल्मों के लिए दमदार कटेंट हैं, जिसे मुंबई में काफी पसंद किया जा रहा है। उनका एक उपन्यास खामोश जिदंगी आने वाला है।
छोटे से बड़े पर्दे का सफर
मेरठ के रोहित ने छोटे पर्दे पर मिस्टर शर्मा इलाहाबाद, जुगनी चली जालंधर, वाटेंड हाई एलर्ट, मानो या न मानो, सपनों की बारात, साथिया साथ निभाना, कानाफूसी, तुझसे नाराज नहीं जिदंगी सहित कई फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखा है। अनुराग कश्यप की गैंगेस्टर पर आधारित फिल्म छलावा, लेडिज माफिया पर आधारित डायरेक्टर चिंटू सिंह की फिल्म डी थ्री के अलावा अन्य कई फिल्मों की स्क्रिप्ट रोहित ने लिखी है। इसके अलावा कई अन्य फिल्मों में उनकी कहानियां दिखने वाली हैं।
अच्छा लिखने के लिए पढ़ना जरूरी
टीवी सीरियल हो या फिल्म की कहानी, उसे लिखने के लिए पढ़ना बेहद जरूरी है। नए राइटरों के लिए रोहित सलाह देते हैं कि अच्छा लिखने के लिए अधिक से अधिक लिटरेचर पढ़ना जरूरी है। एक अच्छा आइडिया राइटर को सड़क पर चलते हुए भी आ जाता है। इसलिए दिमाग को खुला रखना चाहिए। रोहित बताते हैं कि उनके कमरे में अगर कोई चीज सबसे अधिक हैं तो वह किताबें हैं, किताब पढ़ने के लिए कई बार वह अन्य राइटरों के साथ गोवा तक जाते हैं, जहां लाइब्रेरी में जाकर किताब पढ़ते हैं।