आदेश को खाकी-खादी दोनों का संरक्षण!
मेरठ : कहावत है कि खाकी के हाथ बहुत लंबे होते हैं, लेकिन यहां खाकी और खादी के गठजोड़ और मोटी 'डील' न
मेरठ : कहावत है कि खाकी के हाथ बहुत लंबे होते हैं, लेकिन यहां खाकी और खादी के गठजोड़ और मोटी 'डील' ने एक हत्यारोपी के हाथ कानून से लंबे कर दिए। उसने देहात के एक अफसर और सत्तादल के एक कद्दावर के आगे ऐसी 'बोटी' डाली कि दोनों उसके 'पैरों' में आ गिरे और उसे खुला संरक्षण दे रहे हैं। हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद भी यह आरोपी आदेश गुर्जर खुलेआम गांव में घूम रहा है लेकिन यहां की पुलिस उसकी ओर देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही है। मारे गए युवक के परिजन थाने से लेकर कप्तान के दरबार तक कार्रवाई व गिरफ्तारी की गुहार लगा चुके हैं लेकिन इस देहाती अफसर के सामने उनसे बड़े अफसरों की भी बोलती बंद है। आलम यह है कि मीडिया में इन देहाती साहब के खिलाफ खबरें छपनी शुरू हुई तो इनकी हालत खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे जैसी होने लगी है। अब अगर आने वाले कुछ दिनों में रोहटा थाने व संबंधित सर्किल के कुछ छोटे अफसरों पर गाज गिर जाए तो कोई अचरज की बात नहीं होगी।
रोहटा थाना क्षेत्र के गांव डूंगर निवासी बिजेंद्र उर्फ जेंटर जनवरी 2104 में सेना में भर्ती हुआ था। उसे भर्ती कराने की जिम्मेदारी गांव के ही आदेश गुर्जर ने छह लाख में ली थी। कुछ चरण पार करने के बाद फर्जीवाड़ा सामने आने पर वह भर्ती नहीं हो सका। इस पर उसने आदेश गुर्जर से रकम वापस मांगी। ना नुकर के बाद सलापुर निवासी प्रमोद ने रुपये दिलाने का आश्वासन दिया। 24 दिसम्बर को बिजेंद्र अपने नौकर शिबा के साथ पैसे लेने प्रमोद के पास गया लेकिन लौटकर नहीं आया। उसका शव गंगनहर पर मिला, जबकि नौकर का आज तक सुराग नहीं लग सका है। मृतक के भाई कपिल ने आदेश व प्रमोद के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने 16 जनवरी को प्रमोद को जेल भेज दिया लेकिन मुख्य हत्यारोपी आदेश गुर्जर की तरफ देखना भी मुनासिब नहीं समझा। मृतक के परिजन आदेश की गिरफ्तारी की गुहार लगाते रहे लेकिन थाना पुलिस दबिश तक की हिम्मत नहीं जुटा पाई जबकि आदेश गांव में ही घूमता रहा। धीरे-धीरे आदेश की गिरफ्तारी न होने का राज खुला तो परिजनों के साथ ही ग्रामीणों के पैरों तले जमीन खिसक गई। चर्चाओं पर नजर डालें तो आदेश ने गिरफ्तारी से बचने के लिए क्षेत्र के सत्ता पक्ष के एक कद्दावर का दामन थामा और उसकी मदद से देहात के एक साहब के बंगले में जा पहुंचा। फिर खादी और खाकी का ऐसा गठजोड़ हुआ कि खाकी ने खुद की जेब के साथ ही साहब की भी जेब गरम कर दी। अब जब दोनों जेब गरम हो गई तो भला किसकी मजाल कि हत्यारोपी आदेश की तरफ आंख भी उठाकर देख ले।
क्राइम ब्रांच को भी डोज
यहां की तो छोड़िए इन साहब ने अपनी ऐसी 'पावर' दिखाई कि बरेली की क्राइम ब्रांच भी शिथिल पड़ गई। दरअसल कुछ माह पूर्व बरेली में हुई सेना भर्ती में फर्जीवाड़ा मिलने पर वहां की क्राइम ब्रांच ने कई के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इस फर्जीवाड़े में आदेश गुर्जर का नाम भी आया था और वहां की क्राइम ब्रांच दावा कर रही थी कि आदेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए उसकी कुंडली खंगाली जा रही है, लेकिन चर्चा है कि इन साहब की 'डोज' के आगे वहां की पुलिस भी शिथिल पड़ गई। अब तो परिजन भी यह मान बैठे हैं कि जब तक खाकी और खादी का संरक्षण है और जिले के आला अफसर इन दोनों के दबाव में हैं आदेश की गिरफ्तारी आसान नहीं होगी।
गाज गिरे तो अचरज नहीं
इन देहाती साहब के कारनामों की पोल जब मीडिया में खुलनी शुरू हुई तो इनकी बौखलाहट भी सामने आने लगी। अब चर्चाएं यह भी हैं कि खुद को पाकसाफ साबित करने के लिए ये थाने व सर्किल के किसी भी अफसर पर 'नजला' झाड़ सकते हैं।
आदेश की गिरफ्तारी न होने के संबंध में जब सर्किल के एक अफसर से बात की गई तो देहात वाले साहब का दबाव उनकी बातों पर साफ झलक रहा था। उनका साफ कहना था कि आप तो मीडिया वाले हैं सब जानते हैं। हालांकि उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि होली के बाद देखा जाएगा।
इन्होंने कहा--
थाना प्रभारी व सीओ से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की गई है। आदेश की गिरफ्तारी के प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं।
- एसएस बघेल, एसएसपी
गिरफ्तारी व कुर्की की कार्रवाई क्यों नहीं?
एसएसपी ने रिपोर्ट तलब करने व गिरफ्तारी की बात तो अपने बयान में कह दी लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि अब तक यह प्रयास क्यों शुरू नहीं हुए थे तो वह चुप्पी साध गए। गिरफ्तारी वारंट व कुर्की की कार्रवाई पर भी वह कुछ बोलने से बचते नजर आए। अब इस तरह के गोलमोल बयानों से खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देहाती साहब शहर के सभी साहबों पर भारी हैं?