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याद आते हैं चौपालों वाली होली के दिन ..

मेरठ : पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों के रहन-सहन में ही नहीं तीज-त्योहार मनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है।

By Edited By: Published: Fri, 06 Mar 2015 12:48 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2015 12:48 AM (IST)
याद आते हैं चौपालों वाली होली के दिन ..

मेरठ : पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों के रहन-सहन में ही नहीं तीज-त्योहार मनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है। होली में पारंपरिकता कम हुडदंग ज्यादा नजर आने लगा है। इसी क्रम में तवज्जो फिल्मी गीत-संगीत को दी जा रही है। जागरण टीम ने जब इस बारे में समाज के प्रबुद्ध लोगों और युवा वर्ग से बात की तो किसी की आंखों में होली की यादें ताजा हो गईं तो किसी के मन में होली की मस्ती कुलाचें मारने लगी।

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होली त्योहार पूरी तरह से मौज-मस्ती करने का मौका है। इसमें हम खूब फन करते हैं साथ ही घर वालों की बिना रोक-टोक के स्नैक्स व फास्ट फूड का आनंद लेते हैं।

- स्नेहा गुप्ता।

पूरी मस्ती के साथ नेचुरल कलर से होली को खेलते हैं। रंगों की फुहार के बीच डांस करने का मौका भी मिलता है। इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है।

- निशा।

पुराने समय में होली को सादगी के साथ मनाया जाता था, जिसमें पारंपरिक गतिविधियां भी शामिल होती थीं। आज युवाओं में होली के प्रति उत्साह तो है, लेकिन परंपराओं का गला घोंट दिया गया है।

- डा. यशोदा बिंदल।

आज की होली और हमारे जमाने की होली में बहुत से बदलाव आए हैं। पहले होली पर गले मिलकर लोग गिले-शिकवे दूर करते थे, लेकिन आज रंजिश का त्योहार बन गया है। युवा वर्ग खुशियां बांटने की जगह त्योहार का गला घोंट रहा है।

- डा. संतोष शर्मा।

होली पूरी तरह से मस्ती का त्योहार है। आठ दिन से पहले से आठ दिन बाद तक इस त्योहार को मनाते हैं।

- संयम शर्मा।

होली पर रंग बरसाने और गली के दोस्तों से मिलने का ये सबसे सही मौका लगता है। त्योहार सभी भेदभाव को मिटा देता है। एक-दूसरे को जमकर गुलाल लगाकर त्योहार का लुत्फ उठाएं।

- आरिफ सैफी।

होली मनाने के तरीके में काफी फर्क आया है। म्यूजिक सिस्टम तब भी था और अब भी है, लेकिन रागनियों की तैयारियां और चौपालें सजाई जाती थीं। त्योहार को खास बनाने के लिए महिलाएं एक से एक बढि़या पकवान बनाती थीं तो पुरुष अपनी गायकी को सुधारने का प्रयास करते थे।

- राकेश कुमार।

आज के दौरा में होली का मतलब ही बदल गया है। पखवाड़ा पूर्व ही गली के नुक्कड़ पर चौपालें सजाई जाती थीं। गाना बजाना होता था। लेकिन आज के युवाओं पर तो बस वालीवुड का जादू सवार है, जो कि पहनावे, खान-पान और फनिंग गेम में नई थीम को तलाशते रहते हैं।

- सतीश गोयल।


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