मेरठ पुलिस को भी कवाल कांड का इंतजार!
दिनेश दिनकर, मेरठ ज्यादा वक्त नहीं हुआ। वर्ष 2013 में छेड़छाड़ की मामूली वारदात के बाद पुलिस-प्रशासन
दिनेश दिनकर, मेरठ
ज्यादा वक्त नहीं हुआ। वर्ष 2013 में छेड़छाड़ की मामूली वारदात के बाद पुलिस-प्रशासन की हीलाहवाली ने मुजफ्फरनगर समेत पूरे जोन को सांप्रदायिक दंगे की आग में झोंक दिया था, लेकिन सूबे खासकर मेरठ की पुलिस ने इससे कोई सबक नहीं लिया। हालात गवाह हैं कि छेड़छाड़ के कारण शहर में सांप्रदायिक टकराव आम शगल बन गया है। वारदात के बाद पुलिस-प्रशासन सख्त रवैया अख्तियार करने के बजाए लीपापोती में जुट जाता है। इससे शोहदों और अराजक तत्वों के मंसूबों को पर लग जाते हैं। सराय लाल दास में छेड़छाड़ और फाय¨रग की घटना को हल्के में लेकर पुलिस यही साबित करना चाह रही है। यही हालात रहे तो छेड़छाड़ की वारदात से मुजफ्फरनगर की तर्ज पर मेरठ समेत पूरे जोन में अमन को पलीता लग सकता है।
आमतौर पर बकसूरों पर गरजने वाली पुलिस की लाठियां शोहदों के लिए 'गूंगी' साबित हो रही हैं। शहर में अश्लीलता का शोरगुल है, लेकिन हुक्मरान और समाज के अलंबरदारों के कान बेजान हो गए हैं। इन जुदा हालात में कई बेटियों ने स्कूल-कॉलेजजाना बंद कर दिया है। हालत यह है कि बेटी के घर से निकलते ही हैवानियत उसका हमसाया बन जाती है। सड़क पर उन्हें शोहदों की क्रूर नीयत और समाज के तमाशबीनों की भाव शून्यता का सामना करना पड़ता है। हाल यह है कि ट्यूशन, स्कूल, मॉल, शापिंग का नाम सुनते ही लड़कियां एकबारगी ठिठक जाती हैं। वजह है सरेआम होने वाली छेड़छाड़ की वारदातें। तीन दिन पहले सराय लाल दास की घटना कुछ ऐसी ही है। दो बहनें इलाके से निकल रही थी और शोहदे खुलेआम छेड़छाड़ कर रहे थे। विरोध किया तो बवाल हो गया। पुलिस का कहर भी शोहदों के बजाय पीड़ित परिवारों पर ही टूट रहा है।
पुलिस की इसी निष्क्रियता ने बेटियों के लिए महानगर की सड़कें डरावनी बना दी हैं। जिनके साथ वारदातें हो चुकी है, उनमें से कुछ ने तो कॉलेज जाना तक बंद कर दिया। वहीं कुछ जिंदा लाशों की तरह किसी को दर्द बयां करने से डर रही है। सराय लालदास की घटना महानगर के लिए कोई पहली नहीं है। हर रोज महानगर की सड़कों पर छेड़खानी और सामूहिक दुष्कर्म की वारदातें आम हो गई हैं। कुछ बेटियों ने हिम्मत दिखाकर आरोपियों को पुलिस के हवाले कर दिया। वहीं कुछ ने वहशियों के सामने सरेंडर कर दिया। इसके बाद भी पुलिस बेटियों की सुरक्षा के लिए कोई पहल नहीं कर रही है। आला पुलिस अधिकारी तक ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेते। पुराने मामले गवाह हैं कि पुलिस ने उनमें लीपापोती ही की।
जनवरी माह में छेड़छाड़ की घटनाएं
29 जनवरी: मलियाना चौक के पास एक छात्रा को कार सवारों ने खींचा।
29 जनवरी: नौचंदी थाना क्षेत्र में रिक्शा सवार युवती को दो मनचलों ने खींचने का प्रयास किया।
26 जनवरी: सराय लाल दास में टयूशन से लौट रही छात्रा के साथ छेड़छाड़, उठाने का प्रयास। बवाल और फाय¨रग हुई।
22 जनवरी: गंगानगर : गंगा टावर्स कांप्लेक्स में आइजी ऑफिस की कांस्टेबल से छेड़छाड़। हंगामा।
20 जनवरी: दिल्ली रोड पर सरेआम पुलिस चौकी के सामने तीन मनचलों छात्रा से छेड़छाड़ की ।
19 जनवरी: नई बस्ती टीपीनगर की छात्रा को सरेआम अगवा करने की कोशिश की।
18 जनवरी: बागपत रोड पर एक क्लीनिक में छात्रा से डाक्टर ने छेड़छाड़ की। तोड़फोड़।
9 जनवरी: मोदीपुरम हाइवे पर नर्स का अपहरण कर कार में रेप की कोशिश, विरोध करने पर चलती कार से फेंका।
8 जनवरी: हापुड अड्डे पर रिक्शे में सवार महिला से छेड़छाड़।
5 जनवरी: जाकिर कालोनी में महिला से छेड़छाड़, एक दूसरे पर हमला बोला।
3 जनवरी: कंकरखेड़ा में सरेबाजार एक मनचले ने छेड़छाड़ का विरोध करने पर छात्रा को पीटा।
1 जनवरी: कंकरखेड़ा में छेड़छाड़ से तंग आकर श्रद्धापुरी की छात्रा ने स्कूल जाना बंद किया।