जल को जीवन देने की भगीरथ प्यास
संतोष शुक्ल, मेरठ गंगा जमुना दोआब में प्रकृति ने भरपूर संपन्नता उड़ेला था। जल, जमीन और जंगल की त
संतोष शुक्ल, मेरठ
गंगा जमुना दोआब में प्रकृति ने भरपूर संपन्नता उड़ेला था। जल, जमीन और जंगल की त्रिवेणी भोगवाद के भेंट चढ़ गई। जलसंपदा की सूखती धारा ने युवा रमन को झकझोरा। किताबों की दुनिया से बाहर निकलकर रमन ने भूजल संपदा बचाने का भगीरथ हठ छेड़ दिया। प्रशासन और गांवों के बीच बरसों तक भागदौड़ करने के बाद दर्जनों तालाबों को कब्जामुक्त करवाकर उनमें जीवन रोपा। सैकड़ों संस्थानों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग करवाकर भूजल को रवानी दी। काली नदी की पीड़ा को केन्द्र सरकार से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक मंच दिलाया। काली नदी की सफाई पर अब पीएमओ ने भी संज्ञान लिया है।
रमन त्यागी ने आरटीआइ के माध्यम से प्रशासन से जिलेभर के जलस्रोतों पर जानकारी मांगी। तीन हजार में से करीब एक तिहाई तालाबों का अखिलेखों से अस्तित्व गायब मिला। रमन ने युवाओं के साथ मिलकर गांवों में कब्जाए गए तालाबों की लड़ाई छेड़ी। ग्राम प्रधानों और प्रशासन के साथ मीटिंग कर दर्जनों तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराया। गगोल सरोवर में मछलियां मर चुकी थीं, जिसकी सफाई कर उसमें फिर से जीवन रोपा। नीर फाउंडेशन के सर्वे में गांधारी तालाब, नवलदेह कूप, द्रौपदी घाट, सूरजकुंड कर्ण घाट, दुर्वासा, तरत्कारू ऋषि, करनावाल, गगोल तालाब, बूढ़ी गंगा झील, कौशिकी, नौचंदी, जाटों एवं सेठों का तालाब पूरी तरह सूखा मिला। कई सरोवरों में जल में आक्सीजन की मात्रा नदारद मिली, जिसको लेकर उन्होंने प्रशासन को कई बार खटखटाया। मुहिम का असर हुआ कि प्रशासन ने इन सरोवरों की सफाई की पूरी कार्ययोजना तैयार की। सरकारी एवं निजी प्रतिष्ठानों को मिलाकर सौ से ज्यादा स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक लगवा चुके हैं।
सरकार को झकझोरा
रमन त्यागी ने काली नदी के प्रदूषण पर प्रजेंटेशन देकर जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व सचिव प्रोफेसर रामास्वामी, लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, भरत झुनझुनवाला, राजेन्द्र सिंह सहित कई लोगों को झकझोरा। उनकी अपील पर पर्यावरणविदों ने काली नदी के लिए मेरठ पहुंचकर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाने की योजना बनाई। अमेरिका से आए एक डेलीगेशन ने नीर फाउंडेशन के साथ मिलकर काली नदी के किनारे के दो गांवों को गोद लिया है, जिनमें वाटर रिचार्ज समेत कई अन्य उपाय किए जाएंगे। अब गंगा सफाई योजना में सहायक नदियों के शामिल किए जाने के बाद रमन का प्रयास रंग लाने लगा है। गंगनहर की एक धारा काली नदी को जोड़ने के लिए वह लगातार सरकार का दरवाजा खटखटा रहे हैं।