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आधी रात की 'हलचल' में बची थी कोली की गर्दन

मेरठ : मेरठ जेल में दो सप्ताह तक काल कोठरी में कैद रहे निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली के लिए आठ स

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 01:41 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 01:41 AM (IST)

मेरठ : मेरठ जेल में दो सप्ताह तक काल कोठरी में कैद रहे निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली के लिए आठ सितंबर, 2014 की तारीख नया जीवन लेकर आई थी। फांसी के फैसले के बाद कोली को चार सितंबर, 2014 को मेरठ जेल भेजा गया था। उसके मेरठ पहुंचते ही अटकलों का दौर शुरू हो गया। देश-विदेश की मीडिया का रुख मेरठ जेल की ओर हो गया। चैनलों के कैमरे और अखबारनवीस का डेरा चौ. चरण सिंह कारागार परिसर बन गया। कोली के आते ही मम्मू जल्लाद के पोते पवन जल्लाद की अहमियत भी दिखने लगी। जेल में तैयारियां जोर-शोर से शुरू हुई। फंदा नैनी जेल से मंगाया गया। 10 सिंतबर से पहले लटकाने के आदेश के तहत जेल, पुलिस-प्रशासन के बीच बैठकों का दौर शुरू हो गया। लेकिन कुछ हो, उससे पहले सात सितंबर को ही आधी रात में मेरठ से 70 किमी दूर कोली की वकील इंदिरा जयसिंह ने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दत्तू और न्यायमूर्ति दवे की खंडपीठ के समक्ष याचिका लगाई और दलील दी कि अगर अभी फांसी नहीं रुकी तो सुबह का सूरज सुरेंद्र नहीं देख सकेगा। कोर्ट ने रात में ही सप्ताह भर के लिए फांसी रोकने का फरमान सुनाया। इंदिरा के जूनियर ने डीएम पंकज यादव से संपर्क साधा और पूरे मामले की जानकारी एसएमएस से दी गई। रात में सभी तंत्र सक्रिय हुए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति आठ सितंबर को तड़के 3.45 बजे डीएम के यहां फैक्स की गई। फिर एसएसपी और वरिष्ठ अधीक्षक जेल तक इसे तामील कराकर फांसी न देने की हिदायत दी गई। इस तरह कोली मौत के मुंह से बच निकला। अगली सुनवाई के बाद जब फांसी की तय समय सीमा बीत गई तो कोली को 17 सितंबर को यहां से गाजियाबाद जेल भेज दिया गया। इस बीच कोली से मिलने उसकी मां भी पहुंची थी। पहली बार का ही मौका था कि कोली को सजा मिलने के बाद उसके परिवार का कोई सदस्य उससे न सिर्फ मिलने पहुंचा बल्कि उसे निर्दोष साबित करने और उसे फांसी लगने पर अपनी जान तक देने की धमकी देता दिखा। गुमनामी में जी रही सुरेंद्र कोली की पत्नी शांति देवी के जीवन के रहस्य से भी पर्दा उठा। दुनिया ने जाना कि 'नर पिशाच' के किए की उसका परिवार किस तरह से भुगत रहा है। पत्‍‌नी को बच्चों का पेट पालने के लिए दिल्ली में चूल्हा-चौका करना पड़ता है। कहने को कोली दो सप्ताह के लिए ही मेरठ की जेल में कैद हुआ, लेकिन इसी बहाने एक बार फिर मेरठ के लोगों के बीच निठारी कांड जीवित हो उठा था। अब उसकी फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हो चुकी है।


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