क्या इस शहर में कोई किसी को कहीं भी गोली मार सकता है?
मेरठ : स्थान : बेगमपुल का एक होटल। समय रात करीब 10 बजे। एकाएक नशे में धुत कुछ लोग गोली चलाते हैं और
मेरठ : स्थान : बेगमपुल का एक होटल। समय रात करीब 10 बजे। एकाएक नशे में धुत कुछ लोग गोली चलाते हैं और एक वेटर मारा जाता है। जंगलराज, अराजकता, जैसे शब्द धीरे-धीरे अपराधियों के दुस्साहस और पुलिस की निष्क्रियता के सामने बहुत छोटे होते जा रहे हैं। शहर का दिल कहे जाने वाले इस इलाके के लिए रात दस बजे का वक्त कोई ऐसा भी नहीं है कि आप वहां जाने से कतराने लगे। लेकिन मेरठ के सबसे व्यस्त चौराहे मेरठ के बेगमपुल के एक होटल में खुलेआम हुआ कत्ल आम शहरियों को अपनी धारणा बदलने पर मजबूर कर सकता है। अपराध और मेरठ का ऐसा नाता है कि रात नौ बजे के आसपास ही शहर की ज्यादातर सड़कें सूनी दिखाई देने लगते हैं। मेट्रो होने का दावा करने वाले इस शहर के ज्यादातर हिस्सों में रात को निकलना खतरनाक है। लेकिन अब ये खतरा बढ़ते-बढ़ते आबूलेन और बेगमपुल जैसी जगहों पर भी पहुंच रहा है,जो कम से शहर के संभ्रात तबके के लिए शाम गुजारने की जगह है। इस अपराध के तानेबाने को समझने के लिए कोई भी मेहनत करने की जरुरत नहीं है। बेगमपुल पर होटलों की भरमार है। सभी पर खुलकर शराब पी जाती है। बार का लाइसेंस किसी के पास नहीं है, लेकिन पुलिस से खुलेआम सेटिंग के चलते सबकुछ खुलेआम चलता है। अराजक तत्व खुलेआम घूमते रहते हैं,लेकिन कोई रोकने वाला नहीं है। पुलिस की भूमिका वारदात का इंतजार करने तक रह गई है। चाहे कोई इस पॉश बाजार के कार शोरुम में हथियार तान दे या कोई किसी वेटर को गोली मार दे। असलाह पर कोई रोकटोक नहीं है और नशे में या गुस्से में वो किसी को भी गोली मार सकते हैं। बाद में पुलिस कॉबिंग करने और टीमें गठित करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं। विकास की असीम संभावनाओं से लवरेज शहर आखिर क्या एक बर्बर शहरीकरण की तरफ बढ़ रहा है।