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'विज्ञान यूरोप की नहीं मुस्लिमों की देन'

मेरठ : शाही जामा मस्जिद में रविवार को खिदमाह वेलफेयर सोसायटी व शाही जामा मस्जिद के संयुक्त तत्वावधान

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 02:27 AM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 02:27 AM (IST)

मेरठ : शाही जामा मस्जिद में रविवार को खिदमाह वेलफेयर सोसायटी व शाही जामा मस्जिद के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को काजी जैनुल आबिद्दीन तालीमी मर्कज का उद्घाटन समारोह हुआ। शहर काजी जैनुस साजिद्दीन ने शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों की खिदमात को बताया। कहा कि विज्ञान यूरोप की नहीं बल्कि मुस्लिमों की देन है।

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दारूल उलूम देवबंद से आए मौलाना मो. असलम कासमी ने सदारत करते हुए कहा कि आखिरी समय में एक व्यक्ति ने मोहम्मद साहब से पूछा अल्लाह को सबसे ज्यादा कौन सी चीज पसंद है। जवाब मिला शिक्षा। कासमी ने कहा कि अल्लाह को सबसे अधिक तालीम पसंद है। विशिष्ट अतिथि दिल्ली से आए मोलाना अनीस अहमद आजाद कासमी ने कहा कि हमारे यहां शिक्षा को दो भागों में बांट दिया गया है, दुनियावी और दीनी। जबकि कुरान में शिक्षा का यह बंटवारा नहीं है।

शहरकाजी ने कहा कि शिक्षा ही जानवर और इंसान के बीच फर्क पैदा करती है। कुरआन नाजिल होने के बाद सारी दुनिया में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हुआ। उन्होंने कहा कि शिक्षा फैलाने में मुसलमानों का सबसे अधिक योगदान है। इतिहास के पन्नों में मुसलमानों की शिक्षा के क्षेत्र में खिदमात दर्ज है। बताया कि विज्ञान यूरोप की देन नहीं बल्कि इसको मुसलमानों ने शुरू किया। डा. असलम जमशेदपुरी ने धार्मिक संस्थानों में आधुनिक शिक्षा की हिमायत की। ताबिश फरीद ने आभार जताया। नायब शहर काजी जैनुर राशिद्दीन, कारी दाउद, बदरूल हसन, मो. आफताब, इकराम, डा. आसिफ अली, साबिर खान, आफाक खान, हाफिज रशीद आदि मौजूद रहे।


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