छत्तीसगढ़ की मौतों से भी नहीं कोई सबक
संतोष शुक्ल, मेरठ छत्तीसगढ़ में मिलावटी दवाओं से दर्जनों महिलाओं की मौत ने देशभर के दवा कारोबार
संतोष शुक्ल, मेरठ
छत्तीसगढ़ में मिलावटी दवाओं से दर्जनों महिलाओं की मौत ने देशभर के दवा कारोबार में हड़कंप मचा दिया। किंतु उत्तर प्रदेश शासन ने कोई सबक नहीं लिया। शासन ने अक्टूबर में प्रदेशभर में दवाओं के नमूने बनाए। नारकोटिक्स दवाओं की चोरी छुपे बिक्री पर भी सख्ती दिखाई, किंतु डेढ़ माह बाद भी किसी सैंपल की जांच का परिणाम सामने नहीं आया।
सुन्न पड़ा सर्कुलर
केन्द्र सरकार ने तीन माह पहले सभी राज्यों को दवा कंपनियों की गुणवत्ता की जांच कर रिपोर्ट तलब की थी। उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्त, औषधि प्रशासन हेमंत राव ने 19 अगस्त को सर्कुलर जारी कर कहा कि प्रदेश में घटिया दवाओं की बाढ़ है। हर मंडल में टीम बनाकर दवा निर्माता कंपनियों एवं मेडिकल स्टोरों पर छापा डालकर दवाओं की गुणवत्ता एवं रखरखाव जांचने का निर्देश दिया। वेस्ट यूपी में मेडिकल हब होने की वजह से यहां पर दवाओं का करोड़ों का टर्नओवर है। खैरनगर बाजार में ही रोजाना करीब दो करोड़ रुपए की दवाएं बिक जाती हैं। करीब 175 नर्सिग होमों में निजी, जबकि बाजार में थोक एवं फुटकर मिलाकर जिले में कुल साढ़े तीन हजार मेडिकल स्टोर हैं।
एंटीबॉयोटिक की सर्वाधिक बिक्री
एंटीबॉयोटिक, फूड सप्लीमेंट, एंटासिड, पेनकिलर की सर्वाधिक बिक्री है। छत्तीसगढ़ हादसे में पता चला है कि सिप्रोफ्लॉक्सासिन नामक एंटीबायोटिक दवा में चूहा मारने का रसायन था। सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर फर्मो से ठेके पर दवाओं की खरीद की जाती है, जिसमें मिलावट का भारी अंदेशा होता है। मेरठ में मेडिकल कालेज एवं पीएल शर्मा जिला अस्पताल की दवाएं जांच में फेल पाई जा चुकी हैं। शासन के निर्देश पर सप्ताहभर चलाए गए सघन जांच अभियान में सरकारी केन्द्रों की दवाओं को जांच से दूर रखा गया, जबकि बड़ी संख्या में मरीज इन केन्द्रों पर निर्भर है। मेरठ में ज्यादातर दवाएं उत्तराखंड एवं हिमांचल प्रदेश की बनी हुई हैं, जहां पर गुणवत्ता की जांच को लेकर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा।
90 फीसदी सैंपलों की जांच अटकी
गत दो वर्ष की रिपोर्ट देखें तो मेरठ से भेजे गए सैंपलों में से 90 फीसदी की जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई। मेरठ मंडल में जांच की कमान संभालने वाले सहायक आयुक्त, औषधि पीके मोदी का कहना है कि ज्यादा इस्तेमाल होने वाली दवाओं की जांच पर विशेष फोकस है। परिणाम आने पर कारवाई शुरू कर दी जाएगी। दवा कारोबारी रजनीश कौशल का कहना है कि शासन को नमूनों की रिपोर्ट जल्दी देनी चाहिए।