कीर्तिमानों की रानी बनी अपनी अन्नू रानी
मेरठ : अन्नू रानी को खेल पंडित अब कीर्तिमानों की रानी कहते हैं। मेरठ की बहू सीमा डिस्कस में गोल्ड ले
मेरठ : अन्नू रानी को खेल पंडित अब कीर्तिमानों की रानी कहते हैं। मेरठ की बहू सीमा डिस्कस में गोल्ड लेकर आई, तो बेटी ने भाला फेंक स्पर्धा में नए व्यक्तिगत रिकार्ड के साथ कांस्य पदक जीतकर करियर में एक अहम अध्याय जोड़ दिया। जोश, जुनून और लगन का आलम ये कि अन्नू रानी ने गत डेढ़ वर्ष में देश के सारे रिकार्ड तोड़ दिए। पेश है अन्नू से फोन पर बातचीत के मुख्य अंश।
1. गत डेढ़ वर्ष में आपने सारे रिकार्ड तोड़ दिया। प्रदर्शन में इतना सुधार कैसे हुआ?
-मैं जब एनआईएस पटियाला आई थी तो लगभग 50 मीटर तक जेवलिन फेंक रही थी। मेरे कोच एवं पूर्व अंतरराष्ट्रीय जेवलिन थ्रोअर काशीनाथ ने मेरी तकनीक को दुरुस्त कराया। उनके उत्साहवर्धन का नतीजा रहा कि गत डेढ़ वर्ष में मैंने ओपन नेशनल, फेडरेशन कप, इंटर स्टेट, आल इंडिया विवि एवं आल इंडिया रेलवे का नया रिकार्ड बनाया। अब सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर एशियाड में जीत से बेहद खुश हूं।
2. बहादुर गांव में खेतों में बांस की जेवलिन से लेकर चीन और कोरिया के थ्रोअरों के बीच पदक तक का सफर कैसा रहा?
-मैंने गांव में खेतों में घंटों जेवलिन फेंकने का अभ्यास किया है। घर से सपोर्ट मिला तो प्रतयोगिताओं में पदक की जीत शुरू हुई। आर्थिक दिक्कत भी थी। मेरठ में एटीई कंपनी के आदर्श आनंद ने मुझे नोर्डिक का जेवलिन दिया, जिसके बाद मैंने एनआईएस में जमकर अभ्यास किया। कड़ा सफर किंतु परिणाम अत्यंत सुखद।
3. ग्लास्गो कॉमनवेल्थ और एशियॉड में कंपटीशन में क्या अंतर नजर आया?
-दोनों ही बहुत ऊंचे दर्जे की स्पर्धाएं हैं। कामनवेल्थ में आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जमैका, एवं दक्षिण अफ्रीका के टाप थ्रोअरों से मुकाबला रहा, जबकि एशियाड में चीन और कोरिया की लड़कियां 60 मीटर से ज्यादा फेंककर कड़ी चुनौती दे रही थीं, किंतु मेरा पहला प्रयास पदक के लिए काफी साबित हुआ।
4. आपकी सफलता में प्रदेश सरकार एवं खेल एसोशिएशन की क्या भूमिका रही?
-अब तक अनुभव ज्यादा अच्छा नहीं रहा। विभिन्न राष्ट्रीय स्पर्धाओं में जीत के बाद लाखों रुपए के इनाम अब तक नहीं मिले। प्रदेश ने नौकरी नहीं दी, तो रेलवे ज्वाइन कर लिया। सरकार को एथलीटों के प्रमोशन के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए।
5. आपकी क्षमता एवं प्रदर्शन में लगातार सुधार देखते हुए अब रियो ओलंपिक 2016 में पदक की उम्मीद बंधने लगी है। आप क्या सुधार करेंगी।?
-अन्नू: ओलंपिक में दुनिया के सारे टाप थ्रोअरों का जमावड़ा होगा, जहां पर 65 मीटर के आसपास दूरी नापने पर ही पदक की गुंजाइश बनेगी। इंचियोन में मेरी एंड़ी में दर्द थी, अन्यथा मैं 60 मीटर पार कर जाती। स्पीड बेहतर है, किंतु स्ट्रेंथ पर और काम करना होगा। मुझे देश के लिए हर हाल में पदक जीतना है।