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सफाई की टॉनिक सुधारेगी शहर की नब्ज

मेरठ : साफ-सुथरी आबोहवा स्वस्थ जीवन की अनिवार्य शर्त है, लेकिन इस सोच का तकरीबन हर कदम पर अपमान किया

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 01:45 AM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 01:45 AM (IST)
सफाई की टॉनिक सुधारेगी शहर की नब्ज

मेरठ : साफ-सुथरी आबोहवा स्वस्थ जीवन की अनिवार्य शर्त है, लेकिन इस सोच का तकरीबन हर कदम पर अपमान किया गया। शहर ऊंची इमारतों और कांप्लेक्सों से घिर गया। विकास की रेस में स्वच्छता को दरकिनार कर दिया गया। बजबजाते नालों, जगह-जगह कूड़ों की सड़ांध और जानलेवा औद्योगिक कचरों ने शहर की नब्ज बिगाड़ दी। प्रदूषण की बुनियाद पर बीमारिया उफनीं तो असाध्य रोगियों की कड़ी लंबी होती गई। केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत की अपील कर सेहत और संवर्धन की उम्मीदों को नई दिशा दी है। स्वच्छ मेरठ देखने की लालसा में चेहरों पर तैरती चमक अब प्रदूषणमुक्ति की छटपटाहट बता रही है।

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जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर खड़े देश में प्रदूषण और मारक होकर उभरता है। गत दशकों के दौरान गंदगी की वजह से कई महामारियों ने बड़ी संख्या में लोगों पर हमला बोला और विश्व स्वास्थ्य संगठन तक ने नजर रखी। चिकित्सकों की रिपोर्ट के मुताबिक, वेस्ट यूपी में ज्यादातर संक्रामक एवं असाध्य बीमारियों की वजह प्रदूषण है। चार साल पहले मेरठ में भारी बारिश के बाद जलजमाव से डेंगू का प्रकोप जानलेवा हो गया था। प्रशासन नींद में ऊंघता रहा और चिकित्सा के नाम पर सैकड़ों मरीजों का जमकर शोषण किया गया। गनीमत है कि इस वर्ष ज्यादा बारिश नहीं हुई, किंतु हल्की बारिश ने भी शहर की लय बिगाड़ दी। जलजमाव और कीचड़ ने कई कालोनियों के आसपास सांस लेने पर आफत खड़ी कर दी तो शहर में भयंकर वायु प्रदूषण की वजह से अम्ल वर्षा का भी खतरा बना रहा।

जिला प्रशासन हर माह विभागों के साथ समीक्षा बैठक कर स्वच्छता और हरियाली का मर्म बताता रहा। उनकी दलीलों का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम पर कोई असर नहीं हुआ। बारिश के बाद कूड़े के ढेर सड़ने से जानलेवा इकोलाई और क्लबजेला बैक्टीरिया समेत दर्जनों अन्य जानलेवा कवक एवं फंगस पनपते हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मेरठ के नालों में प्रदूषण की जांच कर इसे देश में सर्वाधिक खतरनाक माना है। विकसित देशों एवं भारत के तमाम मेट्रो शहरों में कूड़ों को बंद वाहनों में ढोया जाता है, जबकि मेरठ में नगर निगम की बदबू फैलाती गाड़ियों ने सरेआम बीमारी फैलाई। फिजीशियन डा. दिनेश अग्रवाल कहते हैं कि नालों के आसपास कालोनियों में सांस, चर्म रोग एवं कैंसर का खतरा है, जबकि उद्योगों के आसपास बसे लोगों में सांस, दिल, गुर्दा, अनिद्रा एवं मानसिक रोग के साथ-साथ डीएनए पर भी खतरा पाया गया। प्रदूषण की वजह से गर्मियों में उड़ने वाले धूलकणों में जानलेवा बैक्टीरिया पाए गए, जबकि ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण वायु मंडल की ऊपरी परत पर कब्जाकर आक्सीजन को रोकने लगती है।

अपील नहीं, एक आस

दैनिक जागरण ने साफ सफाई एवं स्वस्थ पर्यावरण को हमेशा प्राथमिकता दी है। हालांकि प्रदेश सरकारों के एजेंडे में स्वच्छता एवं पर्यावरण पिछले पायदान पर रहे। प्रशासन ने गंदगी से काफी हद तक समझौता कर लिया। सेमिनारों में विभागों के साथ-साथ जनमानस को भी गंदगी फैलाने के मामले में कटघरे में खड़ा किया गया। विभागों ने लोगों के शरीक न होने की शिकायत में लंबा वक्त गुजार दिया। स्वच्छ भारत की अपील से जनमानस में एक चेतना नजर आ रही है। बापू की जयंती पर अब करोड़ों पग स्वच्छ भारत की संकल्पना को स्थापित करने की दिशा में उठेंगे। क्रांतिधरा तो हमेशा से नूतन प्रयासों का गर्मजोशी से इस्तकबाल करती रही है।


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