शहर के चौराहे: दिनभर के जाम से कराह रहा हापुड़ अड्डा
मेरठ : हापुड़ अड्डा, शहर के मुख्य चौराहों में शुमार है, जिससे हापुड़, बागपत, रुड़की, गढ़ व मुरादाबाद की दिशा तय होती है। बहरहाल, प्रशासनिक व विभागीय उदासीनता और पुलिसकर्मियों की जेब भरने की नीति से हापुड़ अड्डा चौराहे पर दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है।
अनियोजित तरीके से निर्मित हापुड़ अड्डा चौराहा के सौंदर्यीकरण की योजनाएं तो बहुत बनीं, लेकिन अमलीजामा किसी को नहीं पहनाया जा सका। तंत्र की अदूरदर्शिता का दंश झेल रहे इस चौराहे पर दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ गया है। पहले यहां विशाल चौराहा बना, इसके चलते सड़कें सिकुड़ गईं। भूल सुधार करते हुए इसे तोड़कर छोटा किया गया।
अतिक्रमण की मार से बेहाल इस चौराहे ने शहर की रफ्तार को भी मंद कर दिया है। यहां तैनात पुलिसकर्मियों की उगाही की नीति ने इस चौराहे को बेदम कर दिया है।
चौराहे पर बस व ऑटो रिक्शा का कब्जा
हापुड़ अड्डा चौराहा पर बसों व ऑटो रिक्शा का राज है। गढ़ व मुरादाबाद रूट की रोडवेज, सिटी व डग्गामार बसें यहां से गुजरती हैं, जिनकी संख्या 230 से ज्यादा है। इस चौराहे से मेट्रो प्लाजा की ओर दुपहिया वाहन से निकलना भी मुश्किल है। इस मार्ग पर 200 से ज्यादा टेंपो हर वक्त धड़धड़ाते रहते हैं। चौराहे पर तैनात पुलिस बल अतिक्रमण व जाम की मुख्य वजह माना जाता है, जो कि उगाही तक ही सीमित है। बहरहाल, किसी उच्चाधिकारी अथवा राजनेता के आवागमन पर ऑटो रिक्शा चालकों को लठिया दिया जाता है।
रिक्शा-ठेलों की भरमार
हापुड़ अड्डा चौराहे पर हर वक्त 120 से 150 रिक्शा खड़े रहते हैं। साथ ही 200 के करीब रेहड़ी-ठेले ंवालों ने भी कब्जा जमा रखा है। यहां के दुकानदारों ने भी नालियों पर अतिक्रमण किया हुआ है। इन हालात में सड़क संकरी हो गई है।
नहीं चलता कोई अभियान
शहर के प्रमुख चौराहे, सड़क और बाजारों में अक्सर अतिक्रमण हटाओ व कब्जा मुक्त करने को लेकर अभियान चलाया जाता है, लेकिन यहां के व्यापारियों को मलाल है कि इस चौराहे पर कभी कोई अभियान अब तक नहीं चलाया गया।