अगले सप्ताह तय होगा हवाई अड्डे की भूमि का रेट
मेरठ : महानगर में हवाई अड्डे की भूमि के लिए किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। बार-बार की कोशिशों के बावजूद किसानों के साथ अधिग्रहण का रेट तय नहीं हो पा रहा है। किसानों की लगभग 318 एकड़ भूमि एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया को सौंपी जानी है। यह प्रक्रिया जल्द से जल्द निपटे इसकी खातिर प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है। डीएम की अगुवाई में अगस्त के प्रथम सप्ताह में किसानों की बैठक कर रेट निर्धारण पर अंतिम निर्णय लेने का मन प्रशासन ने बनाया है।
हवाई अड्डे की खातिर जिला प्रशासन को अभी और 392 एकड़ भूमि सौंपना है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा गगोल और काशी के कास्तकारों का है। गगोल के 600 कास्तकारों की 294.42 एकड़ भूमि हवाई अड्डे के लिए ली जानी है, जबकि काशी के 42 कास्तकारों की 23.71 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है।
6600 प्रति वर्ग मीटर से कम पर राजी नहीं हैं किसान
जिन 642 किसानों की जमीन अधिग्रहीत की जानी है उनके साथ एडीएम एलए की कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन किसान 6600 के रेट से कम में जमीन देने को राजी नहीं हैं। ऐसे में जिला प्रशासन के लिए यह चुनौती होगी कि वे किसानों को सरकारी दर या कम पैसे पर भूमि देने के लिए तैयार करें। जिला प्रशासन का कहना है कि जैसे ही जैसे ही भूमि का अधिग्रहण हो जाएगा, एएआइ को भूमि सौंप दी जाएगी।
इनका कहना है..
डीएम की अध्यक्षता में किसानों की बैठक अगले सप्ताह बुलाई जाएगी। बैठक में ही रेट तय कर शासन को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा ताकि हवाई अड्डे की खातिर भूमि सौंपे जाने की कार्रवाई पूरी हो सके।
- डीपी श्रीवास्तव, एडीएम एलए
किसान या भू-स्वामी अपनी भूमि देने को तैयार हैं, बशर्ते उन्हें वाजिब कीमत मिले। जहां की जमीन लेने की बात की जा रही है, वहीं आठ हजार का रेट चल रहा है। हम तो 6600 की मांग कर रहे हैं।
- नीरज गुप्ता, भू-स्वामी
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हवाई अड्डे की भूमि की क्या है मौजूदा स्थिति
एयरपोर्ट के लिए आवश्यक भूमि: 503 एकड़
हवाई पट्टी का हुआ हस्तांतरण: 47 एकड़
राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि: 86 एकड़
(इसमें 30 एकड़ वन विभाग की है और 10 एकड़ भूमि विवाद में फंसी है)
राज्य सरकार को और करना है अधिग्रहण: 372 एकड़