पापों का प्रायश्चित करने को 22 वीं कांवड़ लेकर आए गोल्डन बाबा
मेरठ : दिल्ली निवासी गोल्डन बाबा रविवार को साढ़े आठ किलो सोना व 27 लाख की घड़ी शरीर पर धारण कर 250 श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ रविवार को दौराला व मोदीपुरम पहुंचे। बाबा को देखने वाले लोगों का तांता लग गया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकारा कि उन्होंने जीवन में कुछ गलत काम किए है, जिसके पछतावे के लिए वह हरिद्वार से प्रतिवर्ष कांवड़ ला रहे हैं। अब वह केवल गरीब परिवारों की सेवा करना चाहते है।
गोल्डन बाबा ने बताया कि उनका नाम सुधीर कुमार है। हरिद्वार जिले के ज्वालापुर स्थित गुरुकुल विद्यालय में छह साल की आयु में दाखिला हो गया था। आठ साल गुरुकुल में पढ़ाई करने के बाद दिल्ली आ गए। पढ़ाई के दौरान व इसके बाद उन्होंने कई बुरे काम किए, जिसका पछतावा वह आज तक कर रहे हैं। बताया कि 2006 में उनकी मुलाकात जूना अखाड़ा गुरु महेंद्रपुरी से हुई थी। वे उनके शिष्य बन गए। 2007 में वह 270 तौले सोने की चेन पहनते थे। 2013 में गुरु ने उन्हें जूना अखाड़ा में गोल्डन बाबा की उपाधि दे दी। इसके बाद लाखों लोग उनके भक्त बन गए। उन्होंने गोरक्षा व दिल्ली में 15 सौ गरीब परिवारों का हर महीने सेवा करने का संकल्प लिया है। इसके बाद नागपुर, सिंगापुर व गुजरात आदि में उनके भक्तों की संख्या बढ़ गई। लोग उन्हें अपने प्रदेशों में बुलाने लगे। उन्होंने एक्सपोर्ट का बिजनेस भी बंद कर दिया। इस बार वह लगातार 22 वीं कांवड़ लेकर 250 श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ दिल्ली की और बढ़ रहे है। उनके साथ चल रहे श्रद्धालु अपना शिविर लगाते हुए भोजन स्वयं तैयार करते है। कुछ समय बाद वे अपनी मंजिल की ओर बढ़ गए।