बाल मन पर बोझिल हुई किताबें
मेरठ : सीबीएसई के अंतर्गत पंजीकृत विद्यालयों में नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क-2005 (एनसीएफ) की अनदेखी बिना रोक-टोक चल रही है। बोर्ड जहां बच्चों पर बोझ कम करने के लिए नित नए तरीके ईजाद कर रहा है, वहीं स्कूलों की ओर से छोटे बच्चों पर किताबों का भारी बोझ लादा जा रहा हैं। विभिन्न स्कूलों में कक्षा एक में भी किताबों की संख्या मनमाने तरीके से लगाई गई हैं।
पब्लिक स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा आठ तक के विद्यार्थियों के लिए किताबों का चयन स्कूल अपने लाभ के अनुसार करते हैं। जिस पब्लिशर से जितना लाभ मिलता है उसकी उतनी ज्यादा किताब पाठ्यक्रम में जोड़ दी जाती है। कक्षा एक के नौनिहालों के लिए भी स्कूलों की ओर से 10 से 15 किताबें अधिकृत की गई हैं। ये किताबें दाखिले के तुरंत बाद ही लेना अनिवार्य होता है। इससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ और बच्चों पर किताबों का बोझ पड़ता है, जो उनके लिए हानिकारक होता है।
ये कहता है एनसीएफ
नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क-2005 के अनुसार कक्षा एक व दो के बच्चों को केवल भाषा व गणित की ही शिक्षा दी जानी चाहिए। कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों के लिए पर्यावरण विज्ञान (ईवीएस) विषय जोड़ा जाता है। एनसीईआरटी की ओर से भी कक्षा एक के बच्चे के लिए अंग्रेजी, हिंदी व गणित विषय की ही किताबें तैयार की गई हैं, लेकिन अधिकतर स्कूलों में इनके अलावा और भी कई विषय कक्षा एक में ही पढ़ाए जा रहे हैं।
बहुत ज्यादा है किताबों का अंतर
उदाहरण के तौर पर वेस्ट एंड रोड स्थित दीवान पब्लिक स्कूल और मेरठ पब्लिक स्कूल की बुक लिस्ट पर नजर डालें तो स्थिति चौकाने वाली है। दीवान पब्लिक स्कूल में जहां कक्षा एक के लिए छह किताबें हैं, वहीं मेरठ पब्लिक स्कूल में कक्षा एक के लिए 11 किताबें हैं। जिले के अधिकतर पब्लिक स्कूलों में कक्षा एक के बच्चों को छह से 13 किताबें तक पढ़ाई जा रही हैं।
इस प्रकार हैं किताबें
दीवान पब्लिक स्कूल
कक्षा एक के लिए इंग्लिश रीडर, इंग्लिश वर्कबुक, हिंदी, गणित, सामान्य ज्ञान व ड्राइंग की किताब
मेरठ पब्लिक स्कूल
कक्षा एक के लिए इंग्लिश की दो किताबें, गोल्डन स्टोरी फ्रॉम पंचतंत्र, संस्कृति, वर्तिका, सुलेखा, कंप्यूटर, सामान्य ज्ञान, मॉरल साइंस, ईवीएस व आर्ट एक्टिविटी की किताबें अधिकृत हैं।
नियम से चलते हैं केवी
केंद्रीय विद्यालयों में कक्षा एक में एनसीईआरटी की हिंदी, अंग्रेजी व गणित की किताबें ही पढ़ाई जाती हैं। इनके अलावा ईवीएस मौखिक पढ़ाया जाता है। कक्षा तीन से ईवीएस को रेगुलर विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।
किताबें ज्यादा पर सीख कम
-स्कूल पाठ्यक्रम बढ़ाने में लगे रहते हैं, लेकिन बच्चों को सिखाने पर ध्यान नहीं दिया जाता। बोर्ड के स्पष्ट निर्देश की अवहेलना होती है, लेकिन इनकी चेकिंग भी नहीं हो पाती।
- पवनेश कुमार, एक्स एग्जाम कंट्रोलर, सीबीएसई
- इस उम्र में पढ़ना-लिखना व सामान्य गणित की ही जरूरत होती है। पढ़ाई बोझिल होने से बच्चों के मन पर दबाव बढ़ता है तभी वे पढ़ने से बचने लगते हैं। स्कूलों को बच्चों को सिखाने पर ध्यान देना चाहिए।
- पूनम देवदत्त, सीबीएसई काउंसलर।