अंधेरे में डूब जाती है इलाज की रोशनी
संतोष शुक्ल, मेरठ
जब स्वास्थ्य मंत्री के सख्त फरमानों की कोई कद्र नहीं, तो इलाज की सुविधाएं अपंग होनी तय हैं। राज्य सरकार ने मुफ्त जांच और गुणवत्तापूर्ण इलाज की सियासी तोप चला दी, किंतु आम आदमी के हाथों में चिकित्सा सुविधाओं की रेखा छोटी होती गई। दैनिक जागरण ने मंगलवार रात कई सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सा सेवाओं की पड़ताल की तो सिस्टम असाध्य बीमारी से ग्रस्त मिला। कारण, सीएमओ साहब कभी-कभार ही खोज खबर लेते हैं।
रोहटा : अस्पताल है या बंद पड़ा रैन-बसेरा
रात 10 बजे : घने अंधेरे के बीच दैनिक जागरण की टीम रात करीब दस बजे रोहटा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंची। चौकीदार नशे की हालत में बरामदे में कुत्तों को लाड़-प्यार करता मिला। हास्पिटल अंदर से नगर निगम का डरावना रैन-बसेरा प्रतीत हुआ। इमरजेंसी कक्ष में ड्यूटी पर तैनात डाक्टर उमेश शर्मा सूचना पाते ही पहुंच गए। इमरजेंसी कक्ष बंद पड़ा मिला। प्रसव के लिए पहुंची एक महिला की जांच के लिए स्टाफ नर्स घर से पहुंची। प्रसव के नब्बे फीसदी मामले डफरिन रेफर कर दिए जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक रोहटा केन्द्र पर मार्च तक करीब एक हजार महिलाओं का प्रसव हो चुका है, यकीन नहीं होता।
जानी खुर्द : दूर-दूर तक चिकित्सा का अवशेष नहीं
रात: 10.30 बजे : प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र। आबादी के बीचोंबीच। ऐसा लगा कि टीम किसी गांव में बने प्राइमरी स्कूल में दाखिल हुई। बत्तियां बुझी हुई। बाहर चौकीदार खाट पर सो रहा है। कमरों में ताले पड़े हुए। दूर-दूर तक चिकित्सा का कोई अवशेष नजर नहीं आया। अगर गांव में अचानक किसी की तबीयत बिगड़ जाए, तो यहां कुछ नहीं हो सकता, तय है।
पांचली खुर्द : लटका मिला ताला
रात : 10.45 : मेरठ-बागपत मार्ग से करीब आधा किमी अंदर बना नया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गुजरे दौर के डाकघर से बदतर नजर आया। नियमत: सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 24 घंटे एक विशेषज्ञ डाक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ की ड्यूटी होनी चाहिए, पर मेन गेट पर ही ताला लटका मिला। इस केन्द्र पर पौने दो लाख आबादी की निर्भरता है, जो चिकित्सकों के रवैये की वजह से पूरी तरह ठगी हुई प्रतीत हुई। इमरजेंसी कक्ष का दीदार तक नहीं हुआ। केन्द्र के आसपास चिकित्सीय स्टाफ का एक भी व्यक्ति नजर नहीं आया।
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सभी सीएचसी पर रात में भी चिकित्सा सेवा उपलब्ध रहने के निर्देश हैं, जिसका उल्लंघन करने पर अधिकारियों की खैर नहीं।
डा. अमीर सिंह, सीएमओ।