जल प्रबंधन व संपूरक आहार पर हो ध्यान
मऊ : जनवरी माह मत्स्य पालकों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। मौसम में बदलाव के साथ जलाशय के प्रबंध
मऊ : जनवरी माह मत्स्य पालकों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। मौसम में बदलाव के साथ जलाशय के प्रबंधन का भी यह सबसे खास महीना होता है। इस दौरान मत्स्य पालकों को जल के प्रबंधन के साथ संपूरक आहार के प्रति जागरुकता बरतनी होती हैं। दूसरी ओर जलाशय में निरंतर जाल चलाकर चुना का छिड़काव करना भी आवश्यक होता है। इस समय की लापरवाही आगामी महीनों में उत्पादन को प्रभावित करेगी।
सहायक मत्स्य विकास अधिकारी संतोष कुमार चौबे बताते हैं कि ठंड के मौसम में मछलियों की वृद्धि कम होती है। जल में चक्रमण कम होने से उनकी वृद्धि के साथ जल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। घने कोहरे के बीच आक्सीजन की इसी कमी के कारण ठंड में मछलियां मर कर उपर आ जाती हैं। मौसम परिवर्तन के बीच मत्स्य पालकों को जलाशय और मछलियों को प्रति विशेष सर्तकता बरती होती है। पहले जलाशय में जाल चलाने के साथ आवश्यकतानुसार चुना का छिड़काव करना चाहिए। जल को स्थिर होने के साथ नियमित रूप से तालाब में जल डालते रहना चाहिए। मछलियों को संपूरक आहार के रूप में सरसों की खली आदि आहार के रूप में लगातार नियमित मात्रा में प्रयोग करते रहना चाहिए। आहार में मत्स्य पालकों को टेट्रासिन की दो गोली तोड़कर अवश्य डाल देना चाहिए। इससे बदलते मौसम में उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
वर्जन
इस मौसम में हरे चारे के रूप के बरसीम का प्रयोग आहार के रूप में मछिलयों के लिए अवश्य करना चाहिए। उनकी पत्तियों के साथ ठंडल और उस पर उगे शैवाल मछलियों की वृद्धि में आशातीत प्रभाव डालते हैं। संपूरक आहर के साथ हरा चारा का प्रयोग करने से ठंड के मौसम की रूकी वृद्धि भर जाती है।
-सहायक मत्स्य विकास अधिकारी संतोष कुमार चौबे