कैश की किल्लत कायम
घोसी (मऊ) : दावे चाहे जो हों और कारण कुछ भी हो पर अब नोट बंदी का प्रभाव हरेक वर्ग पर दिख रहा है।
घोसी (मऊ) : दावे चाहे जो हों और कारण कुछ भी हो पर अब नोट बंदी का प्रभाव हरेक वर्ग पर दिख रहा है। कम होने की बजाय बैंक से लेकर एटीएम तक कतार की लंबाई बढ़ती जा रही है। कैश की किल्लत कायम है।
हरेक बैंक ने सामान्य दिनों की बजाय नोटबंदी लागू होने के बाद औसत ढाई गुना निकासी का रिकार्ड बनाया है। उधर पांच सौ एवं एक हजार के पुराने नोट के जमा करने को छोड़ दिया तो बैंकों में जमा होने वाली राशि नगण्य है। ऐसे में बैंक अब नो कैश की स्थिति में आ गए हैं। नोटों की आपूर्ति दिनोंदिन घटने से बैंक एवं ग्राहक दोनों ही परेशान है। क्षेत्र के मझवारा स्थित यूबीआइ की शाखा पर हाल यह कि सुबह से ही कतार लगाए लोगों को बैंक खुलते ही कैश न होने की जानकारी हुई तो चेहरे पर मायूसी छा गई।