शव आते ही चीत्कार उठा समूचा गांव
घोसी (मऊ) : क्षेत्र के मधुबन थाना के सिपाह इब्राहिमाबाद में गुरुवार की सुबह से ही हर शख्स महिला ह
घोसी (मऊ) : क्षेत्र के मधुबन थाना के सिपाह इब्राहिमाबाद में गुरुवार की सुबह से ही हर शख्स महिला हो या पुरूष नम आंखों से एक दूसरे को निहार रहा था। बीच-बीच में एक ही सवाल कि कहां तक पहुंची एंबुलेंस। ²श्य बदल गया जैसे ही एंबुलेंस के सायरन सुनाई दिया। शव बाहर निकलते ही सारा गांव चीत्कार उठा। मृतक भृगुनाथ राजभर (35) की मां देवंती तो मानों पागल हो उठी और पत्नी माना को काठ मार गया।
यह मंजर रहा सिपाह इब्राहिमाबाद निवासी बेचन राजभर के दरवाजे पर। उनका सबसे बड़ा पुत्र भृगुनाथ जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड जेवर (मथुरा)में बतौर चालक कार्यरत था। मंगलवार को वह यमुना एक्सप्रेस वे पर कंपनी के खराब वाहन की रिकवरी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लेकर गया। सड़क किनारे वाहन खड़ा कर पिछला गेट खोल पीने हेतु पानी निकालने का प्रयास कर ही रहा था कि पीछे से आ रहे एक वाहन ने असंतुलित होकर ठोकर मार दिया। युवक को तत्काल कंपनी के एंबुलेंस से नोएडा ले जाया गया पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। युवक का शव गुरुवार की सुबह लगभग पौने दस बजे सिपाह पहुंचते ही तीन दिनों से सब्र कर रहे पिता बेचन फफक पड़े तो अनवरत छाती पीट रही पत्नी को काठ मार गया। होश आया तो ऐसी चीत्कार भरा कि आसमान फट गया। मां की गोद में ढाई वर्ष अन्नू मां को रोता देख रोने लगती तो नो माह के बेटे अनुज को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। बहरहाल शव पहुंचते ही भाई अनिरूद्ध एवं सुनील को संभालना मुश्किल हो गया। उधर बहन शशिकला, जानकी, अर्चना एवं अनामिका तो रोते-रोते जमीन पर लोटने लगीं। मां देवंती को कई बार चक्कर आया। बहरहाल दुनिया का सबसे बड़ा बोझा बेटे की अर्थी लेकर दोहरीघाट के मुक्तिधाम को पिता बेचन निकले तो हरेक शख्स चीत्कार उठा।
उजड़ गई माना की गृहस्थी
होनी होकर रहती है। यह परम सत्य है। पर कभी ऐसी होनी होती है कि सजा किसी और को मिलती है। कुछ ऐसा ही हुआ है सिपाह इब्राहिमाबाद में। भृगुनाथ की मौत से यूं तो समूचा परिवार शोकाकुल है पर माना की तो दुनिया ही उजड़ गई। गोद में ढाई वर्ष की बेटी अन्नू और नौ माह के पुत्र अनुज के लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी अब उसे परिवार के अन्य सदस्यों के सहारे ही उठानी है।
विदेश जाने की थी तैयारी
अभी मात्र एक पखवारा पूर्व घर आए भृगुनाथ राजभर ने दोस्तों से विदेश जाने की बात कही थी। अगली बार घर आने पर वह पासपोर्ट हेतु आवेदन करने की तैयारी में था। पर किसे पता कि विदेश की बजाय वह परलोक जाने की बात कर रहा था।