अब पकड़ी पंप नहर में उड़ती है धूल
घोसी(मऊ) : रबी हो या खरीफ और जायद। बीते कई वर्ष से पकड़ी ताल से निकली पंप कैनाल में अब पानी की जगह धू
घोसी(मऊ) : रबी हो या खरीफ और जायद। बीते कई वर्ष से पकड़ी ताल से निकली पंप कैनाल में अब पानी की जगह धूल और चंद झाड़ ही दिखते हैं।
कभी ऐसा भी वक्त रहा कि 1700 एकड़ में फैले विशाल गहरे पकड़ी ताल में पानी नहीं सूखता था। अनवरत दो वर्ष सूखे की स्थिति में बस पानी तनिक कम होता था। हाल यह कि लघु डाल योजना के तहत द्वितीय पंचवर्षीय योजना में वर्ष 1957 में पकड़ी ताल के पानी से ¨सचाई हेतु पकड़ी पम्प कैनाल बनाई गई। अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए ताल के किनारे कालोनी बनी। जौनपुर से नियंत्रित इस नहर के पानी से पकड़ी खुर्द, पकड़ी बुजुर्ग, सहनिया, सरबसपुर एवं मठिया आदि के किसानों के खेत की सिचाई होती थी। कालांतर में इस ताल के पानी को छोटी सरयू में ले जाने के लिए वर्ष 03-04 में नाला खोदा गया। रेगुलेटर न होने के कारण समूचा पानी अब छोटी सरयू में चला जाता है। ऐसे में गरमी के दिन की तो बात ही अलग किसी समय नहर चलाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं रहता है। एक और कारण यह कि मोटर एवं पंप पुराने होने के बावजूद बदले नहीं गए। बस मरम्मत कर काम चलाए जाने से हाल यह कि क्षमता घट गई। इन कारणों का परिणाम यह कि अब यहां से सारा स्टाफ चला गया है। गांव का ही एक व्यक्ति ताला बंद कर चाबी अपने पास रखता है। जौनपुर से किसी अधिकारी के नहर के बाबत रिपोर्ट हेतु आने पर ताला खोलता है।
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चलाई जाए नहर
पकड़ी बुजुर्ग के कांग्रेस नेता प्रदीप ¨सह सिसौदिया, रामबहादुर ¨सह, पंकज ¨सह, प्रमेंद्र, धनई एवं गुडडू यादव ¨सचाई की समस्या का हवाला देते हुए पकड़ी पंप कैनाल को नए सिर से चलाए जाने की बात करते हैं। यह सभी ताल में गाद की सफाई के साथ ही गहराई बढ़ाए जाने की बात करते हैं। बंटी ¨सह, हरिकांत एवं सन्नी ¨सह आदि ग्रामीण ताल से निकलने वाले नाले में रेगुलेटर लगाए जाने की मांग करते हैं। इनका कहना है कि ऐसे में ताल में पर्याप्त पानी संचित होगा। अतिवृष्टि से जब ताल के पानी से बाढ़ की स्थिति हो तो रेगुलेटर खोल पानी प्रवाहित किया जाए।