घाघरा घटी, कटान का खतरा बढ़ा
दोहरीघाट (मऊ) : घाघरा के जलस्तर में कमी आ रही है। इससे कटान की आशंका बढ़ गई है। लहरों का उफान तटवासि
दोहरीघाट (मऊ) : घाघरा के जलस्तर में कमी आ रही है। इससे कटान की आशंका बढ़ गई है। लहरों का उफान तटवासियों में दहशत कायम किए हुए है। गौरीशंकर घाट पर घाघरा का जलस्तर शनिवार की सुबह 68.40 मीटर रिकार्ड किया गया। यही स्थिति शाम के चार बजे तक बनी रही। यही जलस्तर 16 घंटा पहले वहां पर 68.70 मीटर पर था। यानि 16 घंटे में एक फीट पानी नीचे चला गया। घाघरा के घटते जल स्तर से तटवर्ती क्षेत्रों के लोगों को कटान की आशंका सताने लगी है।
नदी की तेज लहरों के किनारों से टकराने से तटवर्ती किसान काफी भयभीत हैं। घाघरा अब तक दर्जनों किसानों को भूमिहीन बना चुकी है। संतोष राय रामपुर धनौली ने बताया कि घाघरा ने पिछले वर्ष नदी एक बीघा भूमि काट ले गई। कुछ भूमि बची हुई है, उसे भी लहरें काटने को आतुर हैं। ¨सचाई विभाग कटाव रोकने की ठोस व्यवस्था नहीं कर सका है। दुर्गाविजय राय ने कहा कि धनौली के समीप कटान से गत वर्ष से ही किसान मायूस हैं।
कटान रोकने के लिए कोई स्थाई व्यवस्था नहीं हो सकी है। जबकि घाघरा की प्रवृत्ति है कि पानी घटते ही नदी तीव्र कटान शुरू करती है। नवनीत राय ने कहा कि घाघरा निरंतर कटान कर रही है। कृषकों को भूमिहीन बना रही है परंतु ¨सचाई विभाग कटान को रोकने की व्यवस्था बाढ़ के समय ही करता है। जब किसानों की भूमि कटकर नदी में चली जाती है। धनौली निवासी केशभान राय बताया कि नदी सन 1988 से कटान कर रही है परंतु ¨सचाई विभाग एक इंच भूमि भी बचा नहीं पाया।
बालू की बोरी के सहारे कटान रोकने की कवायद
चिउटीड़ांड ¨रगबांध सुरक्षा के लिए बालू की बोरी की दीवार ¨सचाई विभाग ने तैयार तो कर दिया लेकिन बालू की बोरी घाघरा की उफान को रोक पाएगी, यह एक यक्ष प्रश्न जनता के सामने मुंह बाए खड़ा है। जबकि ¨सचाई विभाग के लोग ताल ठोक रहे हैं कि घाघरा का नकेल ¨रगबांध के समीप कस दी गई है।
11 करोड़ रुपये से निर्मित बालू की बोरी की दीवार घाघरा की लहरों से जब तक जंग लेगी यह तो समय बताएगा। लेकिन बालू जिस स्थान से निकाला गया है उस स्थान पर घाघरा ज्यादा गहरी हो गई है। जो ¨रगबांध से मात्र 20 मीटर दूरी पर गहराई बनाई गई है। घाघरा में जब भीषण उफान आएगा तो बालू की बोरी अपने स्थान पर रह पाएगी या नहीं यही चर्चा लोगों में व्याप्त है।
गत वर्ष भी ¨सचाई विभाग ने हजारों बोरी बालू की दीवार बांध की सुरक्षा हेतु लगाया गया था लेकिन उस बोरी भरी बालू की दीवार का तो नामोनिशान ही मिट गया। घाघरा के तेवर देखकर ¨सचाई विभाग ने गत वर्ष 150 ट्रक लगभग बोल्डर गिराकर किसी तरह बांध की सुरक्षा किया। फिर भी घाघरा सारे बोल्डर को अपनी तेज धारा के साथ बहा ले गई। बांध के समीप के जो बोल्डर बचे थे, उनका भी पता न चला।
लोगों का कहना है कि अगर बालू भरी बोरी घाघरा के कटान की तूफान को रोक पाती तो पिछले वर्ष ही इस प्रयोग को सफल हो जाना चाहिए था।