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इस मंहगाई में कैसे होगी पढ़ाई

मधुबन (मऊ) : नाम आतिफ, उम्र मात्र साढ़े तीन वर्ष। पिता की चाहत है कि अपने लाडले को किसी अच्छे अंग्रे

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 07:56 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 07:56 PM (IST)

मधुबन (मऊ) : नाम आतिफ, उम्र मात्र साढ़े तीन वर्ष। पिता की चाहत है कि अपने लाडले को किसी अच्छे अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाए, ताकि बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो। इसी सपने को हकीकत में बदलने के लिए अपने लाडले को लेकर क्षेत्र के एक जाने-माने अग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिले के लिए जाते हैं। उम्र के अनुसार बच्चे का दाखिला नर्सरी में ही होना है। विद्यालय द्वारा प्रवेश शुल्क, फीस, वाहन शुल्क, कापी, किताब आदि का कुल खर्च जोड़कर 4250 रुपए की मांग की जाती है। इसे सुनकर पिता को पसीना आ जाता है। सोचने लगते हैं कि बड़ी बिटिया पहले से पढ़ रही है। उसकी पढ़ाई में खर्च भी कुछ कम नहीं। इतनी मंहगाई में इस दूसरे बेटे की पढ़ाई कैसे हो पाएगी। पढ़ाई इतनी मंहगी तो कभी न थी। यह परेशानी एक अकेले आतिफ के पिता की नहीं बल्कि कई अभिभावक जो मंहगी पढ़ाई के बोझ तले दबे जा रहे हैं और यह सोच-सोचकर हलकान हुए जा रहे हैं। यदि पढ़ाई इतनी मंहगी रहेगी तो अपने सभी बच्चों को एक जैसी शिक्षा देने का सपना कैसे पूरा हो पाएगा।

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इनसेट--

सरकारी विद्यालयों से हो रहा मोहभंग

सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधरने के बजाय और खराब होती जा रही है। यही वजह है कि अच्छी पढ़ाई की चाह में अभिभावक प्राइवेट विद्यालयों का रुख कर रहे हैं, जहां की शिक्षा दिन-प्रतिदिन मंहगी होती जा रही है। सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का स्तर क्या है, इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में कई ऐसे अभिभावक हैं जो खुद तो किसी सरकारी विद्यालय में अध्यापक हैं मगर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए किसी प्राइवेट विद्यालयों में भेजते हैं।


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