अनिच्छित हत्या में एक को आजीवन कारावास
मऊ : हलधरपुर थाना क्षेत्र के साहूपुर में सात वर्ष पूर्व शराब पीकर गाली देने को लेकर हुए बलवे के दौरा
मऊ : हलधरपुर थाना क्षेत्र के साहूपुर में सात वर्ष पूर्व शराब पीकर गाली देने को लेकर हुए बलवे के दौरान एक व्यक्ति की अनिच्छित हत्या के मामले में विचारण के उपरांत जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीएम दीक्षित ने इस मामले के तीन आरोपियों को दोषी ठहराया तथा दो को सभी आरोपी से बरी कर दिया। न्यायाधीश ने अपराध व अपराधी के कृत्य के विश्लेषण के उपरांत आरोपी मुन्नू राजभर को इस मामले में आजीवन कारावास व बीस हजार जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना न देने पर दो वर्ष अतिरिक्त कारावास का आदेश दिया। वहीं इसी मामले के अन्य दोषी आरोपियों श्री भगवान राजभर व बेचन राजभर को दस-दस कारावास व प्रत्येक को दस हजार जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने न देने पर एक वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतने का निर्णय दिया। न्यायालय ने इस मामले में सह आरोपी दो अन्य संजय राजभर व विनोद गुप्ता को सभी आरोपी से बरी कर दिया। कुल छह आरोपीयों में एक आरोपी अमरेंद्र उर्फ चंदन किशोर होने के कारण उसकी पत्रावली अलग कर किशोर न्यायालय भेजी गयी।
घटना हलधपुर थाना क्षेत्र के साहूपुर में 4 मार्च 2007 को शाम 5.30 बजे हुई थी। इसी गांव का आरोपी मुन्नू राजभर शराब पीकर गांव के लोगों को सरेआम गाली दे रहा था। उसका चचेरा भाई महेंद्र राजभर उसे मना करने लगा, इसी बात से नाराज होकर वह अपने घर से अन्य आरोपियों श्रीभगवान उर्फ अमरेन्द्र उर्फ चंदन, बेचन, भोला, विनोद गुप्ता एवं संजय राजभर को बुलाकर लाया। इन सबने मिलकर महेंद्र व उसके परिजनों को लाठी डंडा व ट्यूबलाइट से मारा-पीटा तथा गाली गुफ्ता व धमकी दी। इस घटना में महेंद्र, रामलखन व जयप्रकाश को चोटे आईं। घायलों को लेकर लेाग अस्पताल गए। वहां महेंद्र को डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। न्यायालय में इस मामले में कुल आठ गवाहों को परीक्षित कराकर प्रभारी जिला शासकीय अधिवक्ता कपिलदेव राय व सहायक अनिल ¨सह ने अभियोजन कथानक को संदेह से पर साबित कराया। जिला जज ने साक्ष्य की गहन समीक्षा व बचाव व अभियोजन पक्ष के तर्कों पर विस्तृत व्याख्या के उपरांत अपराध के अनुपात में दंड का निर्धारण करते हुए निर्णय सुनाया। न्यायालय ने अन्य आरोपियों को धारा 147 में मुन्नू ,श्रीभगवान व बेचन को एक-एक वर्ष का कारावास, 323 व 504 भा0द0सं0 में प्रत्येक को एक-एक वर्ष कारावास तथा 506 में प्रत्येक को दो वर्ष के कारावास से भी दंडित करने का निर्णय सुनाया। सभी सजाएं साथ-साथ चलने का भी न्यायालय ने निर्देश दिया।