बौद्धिक संपदा अधिकार पर मंथन
मऊ : राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो में बौद्धिक क्षमता का अधिकार पर तीन दिवसीय कार्यशाला का
मऊ : राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो में बौद्धिक क्षमता का अधिकार पर तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ गुरुवार को डॉ. अरुण कुमार शर्मा निदेशक की अध्यक्षता में हुआ। कार्यशाला का शीर्षक इंटरफेसिंग इन्नोवेशन आईपीआर फार लाइसेंसिंग एंड कामर्शियलाइजेशन आफ टेक्नालाजी इन द चेंजिंग ग्लोबल सिनैरियो विद स्पेशल रेफरेंस टू माइक्र्रोबियल जेनेटिक रिसोर्सेज है।
संचालन कर रहे डा. पवन कुमार शर्मा ने भारत के विभिन्न प्रदेशों से आए हुए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए परिचय कराया। निदेशक डा. अरुण कुमार शर्मा ने डा. आर साहा का स्वागत करते हुए वैश्वीककरण परिप्रेक्ष्य में बौद्धिक संपदा के अधिकार एवं विस्तार पर प्रकाश डाला। वैज्ञानिक डा. आलोक श्रीवास्तव ने ब्यूरों की स्थापना की उसमें चल रहे कार्य पर चर्च करते हुए रूपरेखा प्रस्तुत की। तकनीकी सत्र में डॉ. साहा ने बौद्धिक संपदा के अधिकार के विभिन्न विधाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बौद्धिक संपदा के अधिकार को सुरक्षित कराने में आने वाले संवैधानिक एवं तकनीकि पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए प्रतिभागियों को आश्वस्त किया कि यदि कोई भी अनुसंधानकर्ता इस दिशा में कार्य करता है तो भविष्य में भी सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगे। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य इस दिशा में कार्य करने के दौरान आने वाली प्रायोगिक समस्याओं एवं उनके निदान से संबंधित है। अंत में डा. के पांडियन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ. रेनू, डॉ. पवन कुमार शर्मा, डॉ. उदयभान सिंह, डॉ. के पांडियन ने अपने विचार रखे।