अंधेरी शब में मत डरना मेरी बेटी
घोसी (मऊ) : 'अंधेरी शब में मत डरना मेरी बेटी, भुलाऊं किस तरह शामे गरीबां का मैं वह मंजर, यहां जिंदान
घोसी (मऊ) : 'अंधेरी शब में मत डरना मेरी बेटी, भुलाऊं किस तरह शामे गरीबां का मैं वह मंजर, यहां जिंदान में तुम हो वहां जंगल में है बाबा।' नगर के बड़ागांव में रविवार की रात बीस मोहर्रम को निकले जुलूस में अंजुमन मासूमिया रजिस्टर्ड के नौहाखां जफर अली ने अपने मखसूस अंदाज में यह नौहा पेश कर सभी को गमगीन कर दिया। यहां हजरत इमाम हुसैन की शहादत के बीसवें दिन सभी मुकामी अंजुमनों ने इमाम चौक से जुलूस निकाला। जुलूस के पूर्व मौलाना नसीमुल हुसैन ने इमाम हुसैन के किरदार पर रोशनी डाली। कदीमी राहों से गुजरता यह मातमी जुलूस छोटे फाटक पर पहुंचा। यहां पर जफर अली ने नौहा पेश किया। 'हाय हुसैन-हाय हुसैन की मातमी' गूंज के बीच जुलूस नीम तले होता हुआ रात के लगभग एक बजे सदर इमाम बारगाह पर पहुंचा। नगर की सभी आठ अंजुमनों ने मातमी जुलूस में हिस्सा लिया।