महिलाओं को ओट की तलाश
घोसी (मऊ) : आज आधी आबादी घर की दहलीज से बाहर पांव निकाल विभिन्न व्यावसायिक एवं घरेलू गतिविधियों को अ
घोसी (मऊ) : आज आधी आबादी घर की दहलीज से बाहर पांव निकाल विभिन्न व्यावसायिक एवं घरेलू गतिविधियों को अंजाम दे रही है। खरीदारी से लेकर यात्रा करने में वह पुरुष के बराबर है। इन सबके बीच एक कटु सत्य यह कि नगर हो या महानगर या फिर कोई कस्बा, आधी आबादी के लिए प्रसाधन की व्यवस्था नदारद है। नगरों में बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन तक यह सुविधा सीमित है तो अन्य स्थानों पर उसे ओट की तलाश करने की मशक्कत करनी पड़ती है।
विकास की दौड़ में कस्बा नगर में और नगर महानगर में तब्दील हो गए। नगर एवं महानगर के अध्यक्षों ने पुरुष वर्ग की दिक्कत का ख्याल तो किया पर महिलाओं का नहीं। पुरुषों के प्रसाधन की व्यवस्था की गई पर पर महिलाओं के लिए कभी किसी ने सोचा ही नहीं। नगर के बीच में खाली स्थान भले हों पर आड़ नहीं है। ऐसे में आधी आबादी की मुश्किल का अंदाजा लगाया जा सकता है। चंद बड़े नगरों में भले ही इक्का-दुक्का सुलभ शौचालय हों पर छोटे नगरों में ऐसा कुछ भी नहीं। रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के प्रसाधन की गंदगी संक्रामक रोग का संवाहक है तो बू के चलते ठहरना मुमकिन नहीं। स्थानीय नगर का हाल भी इससे इतर नहीं है। यहां मझवारा मोड़, तहसील कार्यालय एवं बस स्टेशन पर पुरूष प्रसाधन सुविधा महिलाओं को मुंह चिढ़ाती है। यह अलग बात है कि इन प्रसाधनों के आगे दुकानों का अतिक्रमण इन्हें अनुपयुक्त बनाता है।
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महिलाओं के लिए हो व्यवस्था : पूनम
इस समस्या के बाबत भगवान मानव कल्याण से जुड़ी श्रीमती पूनम सिंह कहती हैं कि स्वच्छता अभियान के तहत गांव से लेकर शहर तक शौचालय बनवाए जा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश एवं केंद्र सरकार आधी आबादी की इस समस्या के मद्देनजर नगर पंचायतों एवं महानगरों में महिलाओं हेतु सार्वजनिक शौचालय एवं प्रसाधन की व्यवस्था को अभियान चलाएं।