झिलमिलाते दीपों ने की भास्कर की अगवानी
मऊ : भोर का धुंधलका आरंभ होने के पूर्व से ही, नदियों-सरोवरों के तट पर हजारों की भीड़, पटाखों की गूंजत
मऊ : भोर का धुंधलका आरंभ होने के पूर्व से ही, नदियों-सरोवरों के तट पर हजारों की भीड़, पटाखों की गूंजती आवाज, उदयाचल में भगवान भास्कर के उदय की प्रतीक्षा में शीतल जल में आकटि निमग्न हाथ जोडे़ खड़े व्रती श्रद्धालु अटूट आस्था का भाव हृदय में भरे ठंड को चुनौती दे रहे थे। 'दर्शन दिहीं न आपन दीनानाथ, अरघ लिऊ न हमार' भक्तिपूर्ण लोकगीत की निवेदन भरी स्वरलहरियां वातावरण में गूंज रही थीं। नियत समय पर तपस्या पूरी हुई, भगवान दिनकर की रश्मिरथी सवारी क्षितिज के ऊपर ज्योंहि अरुणाभा बिखेरती प्राची में दृष्टिगोचर हुई, व्रतियों को अमूल्य निधि मिल गई। फिर तो दिवाकर को अर्घ्य देने का सिलसिला आरंभ हो गया। अर्घ्य और सूर्योपासना के बाद भक्तों का यह महासमुद्र धीरे-धीरे अपनी-अपनी राहों पर बह गया और अलौकिक आस्था का महापर्व डाला छठ का चार दिवसीय व्रत गुरुवार की प्रात: परायण के उपरांत संपन्न हो गया।
व्रतियों ने उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के सुख समृद्धि व कल्याण की कामना की। नगर के तमसा तट पर रामघाट, भीटी, बम घाट, हनुमान घाट, संगत घाट, मड़ैया घाट आदि के अलावा ब्रह्मास्थान, शीतला माता पोखरा, चंडी सागर आदि स्थानों पर कहीं तिल रखने की जगह नहीं थी। नदवासराय प्रतिनिधि के अनुसार, क्षेत्र के देवर्षि देवल की तपोभूमि पर डाला छठ के अवसर पर मेला जैसा परिदृश्य रहा। भदीड़, नदवासराय, मड़हां, मोहिउद्दीनपुर, भाटपारा, भातकोल, वलीदपुर, अल्लीपुर, भदवां आदि गांवों में नदियों, तालाबों, पोखरों के तटों पर बने घाटों व वेदियों पर जगमगाते असंख्य दीप अपनुम छटा बिखेर रहे थे। उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने पुत्र प्राप्ति, वंश वृद्धि आदि की मिन्नतें की। बोझी प्रतिनिधि के अनुसार, गाजे-बाजे के साथ पारंपरिक गीत गाते हुए श्रद्धालु भोर में घाटों पर पहुंचे और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। वहां आतिशबाजी का भी मनमोहक नजारा देखने को मिला। चिरैयाकोट प्रतिनिधि के अनुसार, सूर्य उपासना के महापर्व पर गुरुवार की भोर में खाकी बाबा कुटी, अब्दुल खैर, मनाजीत आदि पोखरों में व्रतियों ने आकटि उतर कर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। दोहरीघाट प्रतिनिधि के अनुसार, सरयू तट के रामघाट पर भोर में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। प्राची में ज्योंहि सूर्य की लालिमा दिखी व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देना शुरू कर दिया। मां सरयू तट पर दीपदान किया। घी के दीयों से भगवान सूर्य की आरती किया और परिवार एवं पुत्र के सुख व कल्याण की कामना की। वेदपाठी ब्राह्माणों मंत्रोच्चारण के साथ व्रती महिलाओं का पारण कराया। मुहम्मदाबाद गोहना क्षेत्र के सुरहुरपुर, वलीदपुर, रामनगर, बनियापार सहित क्षेत्र के दर्जनों गांवों में नदी व पोखरों के किनारों पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ी रही। रतनपुरा प्रतिनिधि के अनुसार छठ महापर्व के मौके पर क्षेत्र के बसनही नाले के किनारे मेले जैसा दृश्य था। क्षेत्र के अन्य पोखरों में भी ट्यूबवेल से पानी भरकर उन्हें पूजन-अर्चन के योग्य बनाया गया था।