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दागे दिल धोना न धोना है ये मर्जी आपकी

मऊ : दागे दिल धोना न धोना है ये मर्जी आपकी । वरिष्ठ कवि डॉ. जयप्रकाश धूमकेतु ने इस कविता के माध्यम स

By Edited By: Published: Sun, 19 Oct 2014 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 19 Oct 2014 07:25 PM (IST)
दागे दिल धोना न धोना है ये मर्जी आपकी

मऊ : दागे दिल धोना न धोना है ये मर्जी आपकी । वरिष्ठ कवि डॉ. जयप्रकाश धूमकेतु ने इस कविता के माध्यम से वरिष्ठ नागरिक सेवा संस्थान के वार्षिकोत्सव में चिंतन का रंग भर दिया। यह आयोजन रविवार को पुरानी तहसील स्थित तत्वबोध हाईस्कूल में किया गया। अध्यक्ष राजनाथ तिवारी की उपस्थिति में डॉ. एससी तिवारी ने वागेश्वरी की प्रतिमा पर माल्र्यापण व दीप प्रज्जवलित कर किया। सुरेंद्र नाथ पांडेय ने परिषद की गतिविधियों का प्रतिवेदन किया। तदुपरांत ललिता शास्त्री, चंद्रिका मिश्र, जगलाल एवं कंचनलता तिवारी को सम्मानित करते हुए प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्र प्रदान किया गया। प्रसिद्ध संचालक हरेराम सिंह के नेतृत्व में कवि गोष्ठी के दूसरे सत्र में पंडित दयाशंकर तिवारी ने 'चलते-चलते गया है ठहर आदमी, कैसे तय करेगा बाकी सफर आदमी' से गोष्ठी को उंचाई प्रदान किया। भोजपुरी के कवि हरिशंकर यादव के मुक्तकों ने मनोभावों का चित्रण किया। प्रियंका राय ने हम अगर अकेले चले तो बिखर जाएंगे सुनाया। डॉ. गिरीश चंद मासूम, डॉ. स्वामीनाथ पांडेय, मृत्युंजय तिवारी व सर्वानंद पांडेय ने मनमोहक रचनाएं सुनाई।


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