खेती पर दिखने लगा सूखे का कहर
मऊ : मौसम की दगाबाजी के चलते सूखा का कहर खेती पर साफ दिखने लगा है। रही-सही कसर बिजली की दुर्दशाग्रस्त आपूर्ति और डीजल की महंगाई ने पूरी कर दी। ले-देकर एक आस बची थी नहरों से, उसे विभाग की कार्यप्रणाली ने पूरी तरह से तोड़ दिया। रोपाई का सीजन खत्म होने को है, फिर भी जनपद की अधिकांश नहरों में पानी नहीें है। सूखे खेत, सूखी नहरें देख किसान बेचारे परेशान हैं कि आखिर क्या करें।
साल भर सूखी रहती है दरगाह-कटघरा माइनर
मधुबन (मऊ) : स्थानीय तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा स्थित दरगाह-कटघरा माइनर के नहर होने पर ही शक होने लगता है। आखिर हो भी क्यों न जब साल भर यह नहर सूखी ही रहती है। नहरों का काम खेतों की प्यास बुझाना होता है लेकिन यह नहर खेतों की प्यास क्या खाक बुझाएगी जब खुद ही प्यासी रहती है। इन दिनों मौसम किसानों पर मेहरबान नहीं है। सावन का महीना चल रहा है फिर भी बारिश के अभाव में धान के खेत सूख रहे हैं।
स्थानीय किसानों के लिए दूसरा सहारा नहर का है। मगर नहर तो खुद ही सूखी है। ऐसे हालात में बेचारे किसान क्या करें। नन्हें भाई, हारुल, उमाशंकर यादव, उपेंद्र यादव, अनवारुल हक आदि जैसे स्थानीय लोग जिनके खेतों की सिंचाई इसनहर के पानी पर ही आश्रित है। वर्तमान हालात को लेकर काफी व्यतीत है। कहते हैं कि प्रदेश सरकार मुफ्त सिंचाई का दावा तो करती है मगर पानी कहां है। पहले पानी का लगान देना पड़ता था बदले में थोड़ा बहुत ही सही पानी मिल जाता था। अब तो हालत यह है कि पानी के नाम पर केवल सूखी नहर। विभागीय लोग भी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं देते।