भागवत कथा के श्रवण से धर्म का अवतरण
घोसी (मऊ) : भगवान के नाम की इतनी महिमा है कि जब मानव भागवत कथा का श्रवण करता है तो मन की पवित्रता से परिपूर्ण हो जाता है। व्यक्ति को धार्मिक बनाना नहीं पड़ता है। भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही उसके दूषित संस्कार समाप्त हो जाते हैं। मानव मन के सारे विकार दूर हो जाते हैं। तब मानव जीवन के निर्माण करने के लिए धर्म का अवतरण होता है। साध्वी प्रज्ञा भारती पंछी देवी ने स्थानीय नगर के जूनियर हाईस्कूल में नौ दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान की अंतिम संध्या को मर्यादा पुरुषोत्तम राम को धर्म का प्रतीक बताया।
यहां पर धर्म चेतना समिति के तत्वाधान में नौ दिवसीय मानस नवाह्न पारायण पाठ, संध्या भजन एवं प्रवचन के क्रम में साध्वी ने भगवत नाम के संकीर्तन से ही धर्म का मर्म समझ में आने का तर्क दिया। कहा कि भगवान श्रीराम का प्रत्येक आचरण धर्म की रचना करता है। भगवान चलते हैं तो लगता है धर्म चल रहा है। भगवान कोई कृत्य करते हैं तो लगता है कि धर्म कोई कृत्य कर रहा है। धर्म कोई मानसिक कल्पना नहीं है। नित्य की जीवन यात्रा में मनुष्य का धर्म से निकट का संबंध है। आज माया के जाल में पड़ा मानव वासना से ग्रसित होकर रोग-शोक और ताप से जर्जर है। देहाभिमानी जीव परमात्मा से दूर होता जा रहा है। प्रवचन कर्ता रामशरण दास ने आज के समाज और विशेषकर युवा पीढ़ी के धर्म एवं संस्कार से विमुख होने से उत्पन्न विपरीत स्थिति का चित्रण किया। अंतिम दिन साध्वी प्रज्ञा भारती पंछी देवी को जनपद के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. पीएल गुप्ता एवं नगर के समाजसेवी अनिल कुमार मिश्र एडवोकेट ने प्रशस्ति पत्र एवं अंग वस्त्र प्रदान कर विश्व बंधुत्व एकता सम्मान से विभूषित किया।