ब्रज का गन्ना फिर देगा मिठास
जागरण संवाददाता, मथुरा: छाता शुगर मिल बंद होने के संग-संग ही गन्ना की खेती ने भी दम तोड़ ि
जागरण संवाददाता, मथुरा: छाता शुगर मिल बंद होने के संग-संग ही गन्ना की खेती ने भी दम तोड़ दिया था। एक तरफ शुगर मिल को शुरू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो दूसरी तरफ किसानों को गन्ना उत्पादन करने के लिए योजना तैयार कर ली गई है। गन्ना विभाग का फोकस आलू उत्पादकों पर है। बसंत कालीन गन्ना की बुवाई के लिए फरवरी में आलू के खेत खाली हो जाएंगे।
अस्सी के दशक में यहां गन्ना के खेत नजर आते थे। चीनी मिलों ने किसानों को समय पर गन्ना के मूल्य के भुगतान में देरी करना शुरू कर दिया तो किसान भी गन्ना उत्पादन करने से मुहं मोड़ना शुरू कर दिया। 2001 में गन्ना की खेती का रकबा करीब 18000 हेक्टेयर तक रहा था। इसी के बाद से गन्ना उत्पादन का ग्राफ तेजी से नीचे की तरफ लुढ़का। 2002 और 2003 में चार-चार हजार हेक्टेयर गन्ना रकबा कम हो गया। 2008 तक गन्ना उत्पादन का क्षेत्रफल पांच हजार हेक्टेयर रह गया। 2010 में गन्ना के खेत दूर-दूर तक नजर नहीं आए।
चीनी मिल को शुरू किए जाने की प्रक्रिया की शुरू हो गई है और इसके साथ ही गन्ना विभाग ने किसानों को एक बार फिर गन्ना का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया है। इसकी विभाग ने कार्ययोजना भी बना ली है। जिला गन्ना अधिकारी कृष्ण मोहन मणि त्रिपाठी ने उद्यान विभाग से आलू उत्पादन क्षेत्र और कोल्ड स्टोरेज की सूची भी हासिल कर ली है। किसानों से संपर्क करने के लिए विभागीय अधिकारियों को कोल्ड स्टोरेज में आलू जमा करने वाले किसानों की सूची मांगी जा रही है। जिला गन्ना अधिकारी त्रिपाठी ने बताया कि सभी किसानों को उनके मोबाइल नबंर पर एसएमएस भेजकर उनको गन्ना उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा।
-गोद लिए जाएंगे गांव:
गांवों को ए, बी और सी श्रेणी में बांटा गया है। ए श्रेणी के गांवों को 2017-2018 में गोद लेकर गन्ना का पैदा कराया जाएगा। अगले सत्र के लिए बी श्रेणी और तीसरे सत्र के लिए सी श्रेणी के गांव गोद लिए जाएंगे। अगले माह दिसंबर में गन्ना विभाग के अधिकारी सुबह ग्यारह से एक और दो से चार बजे तक छाता शुगर मिल के आसपास के गांवों में जाएंगे। किसानों की संगोष्ठी की जाएगी। किसानों को गन्ना बीज पर पारितोषक अनुदान दिया जाएगा। इसमें सामान्य किस्म के बीज पर 50 रुपये और सीड की किस्म की प्रजाति पर 75 रुपये प्रति ¨क्वटल का अनुदान दिए जाने के लिए अनुदान किया जाएगा। इसका प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा जा रहा है। जिला गन्ना अधिकारी ने पहले महावन तहसील छाता शुगर मिल कोऑपरेटिव में शामिल नहीं था। इस बार महावन तहसील को भी शामिल कर लिया गया है। यहां की मिट्टी गन्ना उत्पादन के लिए अच्छी है और पानी की उपलब्धता भी है।