111 पौधे लगाएंगे, ईंट भट्टा तब ही चल पाएंगे
जासं, मथुरा: यमुना प्रदूषण हो या वायु प्रदूषण, प्राणी मात्र के लिए खतरनाक हैं। प्रदूषण को प्राण्
जासं, मथुरा: यमुना प्रदूषण हो या वायु प्रदूषण, प्राणी मात्र के लिए खतरनाक हैं। प्रदूषण को प्राण वायु ही खत्म कर सकती है और प्राण वायु पौधों से ही मिलेगी, इसलिए पौधारोपण ही उपाय है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने स्तर पर इसी मुहिम को बल दे रहा है। बोर्ड न केवल जागरूक कर रहा है, बल्कि निश्शुल्क पौधा वितरण भी कर रहा है। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ वह सख्त रवैया भी अपना रहा है। उसने तय किया है कि वायु प्रदूषण फैलाने वाले ईंट-भट्टा अब पौधारोपण किए बिना नहीं चल पाएंगे। सालाना कन्सेंट के लिए उन्हें पौधारोपण करना होगा और डीएम से पर्यावरण क्लीयरेंस भी लेनी होगी। यह कहना है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अर¨वद कुमार का। जागरण के कार्यक्रम'प्रश्न पहर'में उन्होंने पाठकों के तमाम ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर दिए।
प्रश्न: मांट में गंगाजल प्रोजेक्ट पर लंबे समय से काम चल रहा है। इसकी वजह से कई किमी में खोदाई हुई है और धूल-मिट्टी 24 घंटे उड़ती रहती है। इससे बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए हैं, क्या बोर्ड इस पर लगाम लगा सकता है?
- हंसराज ¨सह, कराहरी
डॉ. कुमार: निर्माण के काम में वह छोटा हो या बड़ा, धूल-मिट्टी उड़ती ही है। प्रोजेक्ट की वजह से यदि प्रदूषण हो रहा है तो बोर्ड इसका संज्ञान लेगा। इसी के साथ क्षेत्रीय लोगों को चाहिए कि वह पाइप लाइन के किनारे ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करें। बोर्ड निश्शुल्क पौधे उपलब्ध कराएगा।
प्रश्न: छावनी परिषद के खिलाफ एनजीटी में मामला चल रहा है। छावनी प्रशासन अभी भी यमुना किनारे कूड़ा जला रहा है। बोर्ड इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं करता?
- तपेश भारद्वाज, कैंट
डॉ. कुमार: यह मामला संज्ञान में है। एनजीटी ने छावनी परिषद पर जुर्माना भी लगाया है। आप हमें कूड़ा जलने के फोटोग्राफ मुहैया कराएं। हम इसका निरीक्षण कराएंगे और ऐसा पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।
प्रश्न: हमारे क्षेत्र में ईंट-भट्टा बहुत हैं। इनके प्रदूषण से आम जन परेशान हैं। ईंट भट्टा मानक अनुसार चलें, इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्या उपाय किए हैं?
- सतीश चंद्र, सुरीर
डॉ. कुमार: सुरीर क्षेत्र में 100 से ज्यादा भट्टा हैं। हमने सभी को नोटिस जारी किए हैं। अब उन्हें डीएम के यहां से पर्यावरण क्लीयरेंस और हमारे यहां से सालाना कन्सेंट लेनी होगी। कन्सेंट तब मिलेगी, जब वे अपने भट्टा परिसर के आसपास 111 पौधे लगाने का शपथ पत्र देंगे। उनकी कोशिश है कि इस क्षेत्र में लाखों पेड़ लगें। पेड़ ही कार्बन डाईआक्साइड को सोखते हैं। इससे स्थानीय पर्यावरण ताजा रहेगा।
प्रश्न: यमुना प्रदूषण के खिलाफ एनजीटी में याचिका चल रही है। प्रदूषणकारी उद्योग इसके वाहक बने हुए हैं। शहर में चल रहे अवैध उद्योगों के खिलाफ बोर्ड क्या कदम उठा रहा है?
- सार्थक चतुर्वेदी, मयूर विहार
डॉ. कुमार: एनजीटी का फैसला इस महीने आ सकता है। उनको पूरा विश्वास है कि नगर में चल रहे प्रदूषणकारी उद्योग औद्योगिक क्षेत्र में लगेंगे। इन्हें बाहर जाना ही पड़ेगा।
प्रश्न: आवासीय क्षेत्रों में अवैध उद्योग लगे हुए हैं। बोर्ड इनके खिलाफ ठोस कदम क्यों नहीं उठाता?
- महेश चंद्र अग्रवाल, चौक बाजार
डॉ. कुमार: आवासीय क्षेत्र में उद्योग चलने देने के लिए नगर निगम और विकास प्राधिकरण जिम्मेदार है। फिर भी बोर्ड इनके खिलाफ सख्त है। आपके पास ऐसी कोई सूची हो तो हमें उपलब्ध कराएं, हम सप्ताह भर में इन्हें बंद करा देंगे।