चौपालों पर चली हार-जीत की चर्चा
सौंख: चुनावों की गहमागहमी के बाद भी गावों में चुनावी माहौल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। चौपालों पर चुनावी चर्चाएं खूब हो रही हैं। क्या बुजुर्ग और क्या युवा, सभी अपने अपने कयासों से अपने प्रत्याशी को जीता हुआ बता रहे हैं।
हालाकि जनपद में चुनावी शोरगुल 28 फरवरी को ही समाप्त हो गया पर चौपालों पर अभी तक रौनक छोड़ गया है। अलसुबह ही गावों के बुजुर्ग चौपालों पर जमा हो जाते है और तमाम तरह से हार जीत का आकलन करते है। चौपालों पर शोरगुल तब और बढ जाता है जब युवा आकर के बुजुगोर् के आकलन को गलत साबित करने में जुट जाते है। कोई किसी की जीत का दावा करता है तो कोई किसी की जीत पक्की बता रहा है। जो जिसका समर्थक है वह उसी की जीत मान कर चल रहा है। बढे हुए मत प्रतिशत ने भी बुजुगरें को ज्यादा माथापच्ची करने पर मजबूर कर दिया है।
मतदाता की नब्ज और हार जीत का आकलन चुनावों के बाद भी करने में पसीना आ रहा है। मिठाई और रुपयों के दाव लग रहे हैं। जाट बाहुल्य इलाका होने के बावजूद भी इस चुनावी समर की तस्वीर अभी तक इस कदर धुंधली है कि तमाम चुनावी गणित फेल हो रहे है। पर इन निठल्ली वार्ताओं ने चौपालों पर बैठने वालों के लिए काफी मसाला दे दिया है।
प्रत्याशियों की किस्मत चाहे इवोम में बन्द क्यों ने हो पर चुनावी चौपालों की चर्चाओं में हर घण्टे में एक नये प्रत्याशी को विधायक बना दिया जाता है और अगले ही पल किसी दूसरे की जीत की आशका भी जता दी जाती है। इस बारे में जब कस्बा की सहजुआ थोक स्थित चौपाल पर हुक्का गुडगुडाते उम्मेद सिंह से पूछा गया तो उन्होने बताया कि इस बार का चुनावी आकलन इस कदर उलझा हुआ है कि किसी की जीत की भविष्यवाणी करना आसान नहीं है। मास्टर भरत सिंह कुन्तल का कहना है कि ज्यादा मतदान प्रतिशत ने आकलन को पेचीदा बना दिया है। जुगेन्द्र सिंह ने बताया कि जाट और ठाकुर बाहुल्य सीट पर किसी तरह का पूर्व आकलन बेमानी होगा।
अजित सिंह, वेदबीर, यदुराज सिंह पाण्डव, अनिल माहौर तथा सुन्दर हवलदार ने कहा कि किसी की जीत की बात नहीं कही जा सकती है। सभी प्रत्याशियों ने काफी तादाद में वोट प्राप्त किये है और सभी ने पर्याप्त मेहनत की है जो मतदाताओं की कसौटी पर खरा उतरा होगा वही विधायक का ताज पहनेगा।
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