धान की खाली बाली देख किसानों की आंख नम
जागरण संवाददाता, मथुरा: खेतों में धान की लहलहाती फसल देख इस सूखे में भी अच्छी उपज की किसानों की उ
जागरण संवाददाता, मथुरा: खेतों में धान की लहलहाती फसल देख इस सूखे में भी अच्छी उपज की किसानों की उम्मीद टूट गई है। धान की बाली में दाने ही नहीं पड़े हैं। यह समस्या किसी एक किसान की नहीं बल्कि इलाके के कई किसानों की है। ऐसे में अपनी फसल देख किसानों के आंसू निकल पड़े हैं। शिकायत पर जांच टीम गांवों की और दौड़ पड़ी है।
जिले के गांव उस्फार, शाहपुर और राया इलाके के नगला धनिया के तमाम किसान इस समस्या से दो चार हो रहे हैं। किसानों का आरोप है कि सरकारी बीज भंडारों पर मिलावटी और नकली बीज के कारण उन्हें यह दिन देखने पड़ रहे हैं। सदर तहसील के गांव उस्फार निवासी रामवीर चौधरी व राधेश्याम बीते दिनों धान की नर्सरी के लिए राजकीय कृषि बीज भंडार से पीवी 06 किस्म की प्रजाति का बीज लिया था। तय विधि से नर्सरी तैयार कर फसल की रोपाई की। निर्धारित अवधि में फसल की बालियां कम आने एवं दानों की संख्या नगण्य होने पर संबंधित किसानों को बेचैनी हुई। पीड़ित किसानों ने जब इसकी शिकायत संबंधित कृषि रक्षा अधिकारी से की तो उन्होंने फसल को बचाने संबंधी आवश्यक दवा देने से साफ इन्कार कर दिया। आरोप है कि संबंधित जिम्मेदारों ने उल्टे पीड़ित किसानों को प्राइवेट दुकानों से जरूरी दवा क्रय करने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर से सभी जरूरी प्रयास कर लिए मगर फसल को बचाने में वह असफल रहे, जिसका सीधा और स्पष्ट कारण खराब बीज को जाता है। गौरतलब है कि जिले में ऐसे कई मामले प्रकाश में आते हैं मगर कागजी आंकड़ों और लीपापोती के चलते फाइलों में जांच के नाम पर दब कर रह जाते हैं।
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-जांच के बाद होगी कार्रवाई-
उपकृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है और जांच कमेटी गठित की जा चुकी है। आज ही जांच कमेटी को गांवों में मामले की जांच के लिए भेजा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद उच्चाधिकारियों को भेजकर हरसंभव पीड़ित किसानों को राहत पहुंचाई जाएगी। समय पर संबंधित विभाग से दवा उपलब्ध न होने के किसानों के आरोपों की जांच कराई जा रही है।
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बाली नहीं आई थी तो नहीं दी दवा-
जिला कृषि रक्षा अधिकारी यतेंद्र ¨सह ने पीड़ित किसानों के आरोपों के संबंध में कहा कि किसान दवा लेने आए थे मगर बाली अर्थात मिल्क प्रॉडक्शन टाइम न होने के चलते दवा उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती थी।