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विकास के लिए होगा दस हजार वृक्षों का कत्ल

मनोज चौधरी, मथुरा: सड़कों का चौड़ीकरण करने के लिए वृक्षों का कत्ल करने का फार्मूला कुछ समझ से परे

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 May 2017 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 May 2017 01:00 AM (IST)
विकास के लिए होगा दस हजार वृक्षों का कत्ल
विकास के लिए होगा दस हजार वृक्षों का कत्ल

मनोज चौधरी, मथुरा: सड़कों का चौड़ीकरण करने के लिए वृक्षों का कत्ल करने का फार्मूला कुछ समझ से परे हैं। कोसीकलां, नंदगांव, बरसाना होकर गोवर्धन मार्ग को फोरलेन करने के लिए दस हजार वृक्षों का कत्ल होने जा रहा है। इससे पहले भी सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं, लेकिन भरपाई आज तक नहीं हो सकी है।

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कोसीकलां से नंदगांव, बरसाना होकर गोवर्धन (केएनबीजी) मार्ग के चौड़ीकरण का कार्य पूरा किए जाने की तारीख 19 दिसंबर 2017 तय कर दी गई है। सर्वेक्षण में इस मार्ग पर दस हजार वृक्ष खड़े हुए हैं। ताज ट्रिपेजियम जोन में शामिल इस मार्ग के वृक्षों को काटने के लिए लोक निर्माण विभाग ने वन विभाग से मंजूरी लेने के लिए अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, न ही पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी प्राप्त की गई है।

एनओसी मिलने के बाद इन वृक्षों को काट दिया जाएगा और इसके बदले दूसरे स्थानों पर लोक निर्माण विभाग को पौधरोपण करने का काम करेगा। इससे पहले नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण के लिए हजारों पेड़ काट दिए गए। अधिशासी अभियंता सुदर्शन कांत वर्मा ने बताया कि पेड़ों को कटाने के लिए मंजूरी लेने की कार्रवाई की जा रही है।

दरख्त बनने में लगेगा समय

जितने पेड़ काटे गए थे, उससे डेढ़ गुना पौधे दूसरे स्थानों पर रोपे जाने हैं। पूर्व में भी हजारों पेड़ सड़कों के चौड़ीकरण की भेट चढ़ गए हैं। जहां इन पौधों को लगाया गया, वह अभी वृक्ष नहीं बन पाए हैं। तीस फीसद तक पौधे नष्ट हो गए। संपर्क मार्गों के किनारे फसलों का नुकसान होने का हवाला देकर किसान पेड़ नहीं लगाने दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में पिछले दस साल में जो सड़कें बनाई गई, उनके किनारे पेड़ नहीं लगाए जा सके। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी पेड़ न लगाए जाने के पीछे यही तर्क दे रहे हैं। नहर के किनारे और वन विभाग की भूमि पर हर साल ढाई-तीन लाख पौधे रोपे जा रहे हैं। इसके बाद भी जिले में हरियाली का प्रतिशत तीन फीसद तक है, जबकि आबादी के हिसाब से हरियाली 33 फीसद होनी चाहिए। बताया गया है कि वृक्षों के काटने से पहले पौधे रोपे जाने का नियम है, लेकिन अभी तक केएनबीजी से काटे जाने वाले पेड़ों के स्थान पर पौधे रोपने की कोई योजना तैयार नहीं की गई है। पौधे रोपने के लिए मार्च में ही गड्ढा खुदान का काम करना जरूरी है और इसके बाद उनमें खाद और कीटनाशक डालकर पौधे रोपने के लिए तैयार करना पड़ेगा। पीडब्ल्यूडी विभाग ने इस काम को अभी नहीं कराया है। इस स्थित में वन विभाग और पर्यावरण मंत्रालय से पेड़ काटने की मंजूरी मिलने की गुंजाइश कम ही जताई जा रही है। माना यह जा रहा है कि अगर पेड़ों के काटने की मंजूरी में देरी हुई तो केएनबीजी के फोरलेन का काम समय पर पूरा होने की संभावना कम ही नजर आ रही हैं।


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