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बांके की दुनिया हुई दीवानी

रैना पालीवाल, मथुरा लाड़ली लाल का केलि निकेतन देश दुनिया को अपनी ओर खींच रहा है। पिछले पांच सालो

By Edited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 01:00 AM (IST)
बांके की दुनिया हुई दीवानी

रैना पालीवाल, मथुरा

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लाड़ली लाल का केलि निकेतन देश दुनिया को अपनी ओर खींच रहा है। पिछले पांच सालों में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। समूचे ब्रज में वृंदावन धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन चुका है। पर्यटन विभाग के 2015-2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक ब्रज में सबसे अधिक तीर्थ यात्री वृंदावन में आए। लीला धाम ने मथुरा और गोवर्धन को भी पीछे छोड़ दिया है।

ब्रज में आने वाले भक्तों की प्राथमिकता में वृंदावन शामिल है। यमुना एक्सप्रेस वे बनने के बाद यहां आना और सुगम हो गया है। बांके बिहारी के साथ प्रेम मंदिर भी भक्तों को आकर्षित कर रहा है। वृंदावन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी 2015 में हुई। 2014 में जहां 40,34050 भक्त यहां आए वहीं 2015 में 1,2647890 लोग वृंदावन पहुंचे। इस तरह एक साल में 86,13840 श्रद्धालु बढ़े। 2016 में पिछली साल की तुलना में 50,110 लोग बढ़े हैं। 2014 में वृंदावन चौथे स्थान पर था। उस समय गोवर्धन पहले स्थान पर था, उसके बाद मथुरा, फिर राधाकुंड था। 2015 की तरह 2016 में भी वृंदावन सबसे ऊपर है। दूसरे स्थान पर गोवर्धन व तीसरे स्थान पर मथुरा है।

जिला पर्यटन अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि वृंदावन के प्रति लोगों का रुझान बहुत बढ़ा है। उनको वहां जाने में सहूलियत रहती है। सुविधाओं के स्तर पर भी यहां काफी काम हुआ है। बांके बिहारी वृंदावन का सबसे प्रमुख आकर्षण हैं। इसके बाद रात में लोग प्रेम मंदिर के दर्शन करना पंसद करते हैं।

बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक प्रशासन मुनीश शर्मा ने बताया कि ठाकुर जी की ख्याति दिनोंदिन बढ़ रही है। इसकी वजह मीडिया व भागवत के माध्यम से होने वाला प्रचार है। दो-तीन सालों में बांके बिहारी के दर पर भक्तों की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हुई है। एनसीआर के लोगों का शनिवार-रविवार ठाकुर जी के साथ ही मनता है। इसके अलावा पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, एमपी, दक्षिण आदि सहित पूरे भारत से लोग बांके बिहारी के दर्शन को आते हैं। विदेशी भी बड़ी संख्या में आते हैं।

ऐसे होता है डाटा इकट्ठा

पर्यटन विभाग हर जगह के होटल, धर्मशाला आदि से वहां आने वाले तीर्थ यात्रियों का डाटा एकत्रित करता है। इसके साथ विशेष उत्सवों में मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा लिया जाता है। संबंधित क्षेत्र के ईओ भी अपनी रिपोर्ट देते हैं। इस आधार यह आंकड़ा तैयार किया जाता है।

सन 2014

स्थान-भारतीय-विदेशी-कुल

गोवर्धन-84,50000-4850-84,54850

मथुरा-66,20500-24,950-66,45,450

राधाकुंड-41,90000-1800-41,91800

वृंदावन-40,15000-19050-40,34050

सन 2015

स्थान-भारतीय-विदेशी-कुल

वृंदावन-1,2600000-47,890-1,2647890

गोवर्धन-1,2050000-8500-1,2058500

मथुरा-66,2600-25000-66,51000

राधाकुंड-45,60000-1950-45,61950

सन 2016

स्थान-भारतीय-विदेशी-कुल

-वृंदावन-1,26,50000-48000-1,2698000

गोवर्धन-1,20,90000-8600-1,2098600

मथुरा-66,30000-25,100-66,55100

राधाकुंड-45,70000-2000-45,72000


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