महीनेभर बाद सूने बाजार हुए गुलजार
जागरण संवाददाता, मथुरा: 'धुआं उठा आंगन से ऊपर कई दिनों के बाद, कौए ने खुजलाई पांखें कई दिनों के बाद.
जागरण संवाददाता, मथुरा: 'धुआं उठा आंगन से ऊपर कई दिनों के बाद, कौए ने खुजलाई पांखें कई दिनों के बाद..' नागार्जुन की 'अकाल और उसके बाद' नामक कविता की ये पंक्तियां एक बुरे दौर के गुजरने के बाद सामान्य होती जिंदगी का चित्रण करती हैं। शुक्रवार का दिन भी कुछ ऐसा ही लग रहा था। नोटबंदी के महीनेभर बाद बाजारों चहल-पहल जो थी। ग्राहक खरीददारी को निकले तो दुकानदारों के मुरझाए चेहरे भी खिल उठे।
मथुरा की बैंकें इस एक महीने में अब तक करीब 400 करोड़ की भारी-भरकम धनराशि बांट चुकी है। वेतन और पेंशन की रकम भी खातों से हाथ में पहुंच गई है। जैसे-जैसे लोगों के पास पैसा पहुंच रहा है, वे रोजमर्रा के अलावा अन्य जरूरी सामान की खरीदारी करने निकल रहे हैं। पिछले एक महीने में शुक्रवार को पहली बार ऐसा हुआ, जब बिना किसी त्योहार की पूर्व संध्या के बाजारों में भीड़ रही। शहर के हर बाजार में एक माह पहले के आम दिनों की तरह ही भारी यातायात रहा। सुबह की धुंध जैसे ही छंटनी शुरू हुई, बाजारों में लोग आने लगे।
सबसे ज्यादा चहल-पहल होलीगेट क्षेत्र में रही। तिब्बत बाजार में भी गरम कपड़े खरीदने के लिए सरकारी कर्मचारियों के अलावा सेना के परिवार भी बड़ी संख्या में पहुंचे। कृष्णा नगर, धौली प्याऊ, छत्ता बाजार, स्वामी घाट, मंडी रामदास, घीया मंडी, धौली प्याऊ में भी देहाती ग्राहक भी दिखे। गरम वस्त्र, इलेक्ट्रोनिक सामान व पंसारी की दुकानों पर दिनभर रौनक रही।
गोपी की नगरिया निवासी संतोष ने बताया कि कई दिन बैंक लाइन में लग कर महीने भर के खर्च की रकम निकाल ली है। सिलाई मशीन की काफी दिनों से जरूरत महसूस हो रही थी। इसलिए आज खरीदने बाजार आए हैं।
सिविल लाइंस निवासी सरकारी कर्मचारी परिवार की महिला रेवती ने बताया कि उनके पति का अभी बैंक खाते से आधा ही वेतन निकला है, लेकिन महीनेभर का राशन खरीदने के बाद शेष पैसे से रूम हीटर खरीदा है। ठंड के मौसम में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हो रही थी।