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घाघ बढ़ा रहे परीक्षा केंद्रों की बोली

जागरण संवाददाता, मथुरा: उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड की परीक्षा में ठेके पर नकल कराने वाले घा

By Edited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 12:10 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 12:10 AM (IST)
घाघ बढ़ा रहे परीक्षा केंद्रों की बोली

जागरण संवाददाता, मथुरा: उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड की परीक्षा में ठेके पर नकल कराने वाले घाघ अपने कालेज को परीक्षा केंद्र बनाने के लिए न केवल बोली बढ़ा रहे हैं, बल्कि सिफारिशें भी करा रहे हैं। डीआइओएस कार्यालय के लिपिक भी इनके तारणहार बनने के लिए अपनी सहमति की मुहर लगा रहे हैं।

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परीक्षा केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया शुरू होते ही इनकी भी गतिविधियां बढ़ गई हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के इर्द-गिर्द सुबह से लेकर देर रात तक ये डेरा डाले हुए हैं। प्राइवेट कालेज संचालकों की कमाई का मुख्य जरिया ही नकल है। वे इस मौके को भुनाने के लिए अधिकारियों की बोली लगाने के साथ ही तगड़ी सिफारिश लगवा रहे हैं। बस, उनका स्कूल परीक्षा केंद्र निर्धारण की सूची में शामिल हो जाए।

बोर्ड परीक्षा में नकल के लिए बदनाम हो चुके कालेज संचालकों ने हालातों के मद्देनजर ऊंची बोली इस बार लगाई है। पिछले साल चार-चार लाख रुपये में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। इस बार बोली एक लाख रुपये और बढ़ा दी गई है। परीक्षा केंद्र निर्धारण में मोटे लेन-देन के मामले में तत्कालीन डीआइओएस केएल वर्मा को रिश्वत लेते हुए विजीलेंस ने रंगे हाथ पकड़ा था। इसलिए बाबू नकल माफिया के तारणहार बने थे। इस बार भी घाघ उनकी तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। बाबुओं ने भी उनको भरोसा दिलाया है कि सब काम हो जाएगा।

इस बार परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर रिश्वत की बढ़ी बोली का मुख्य कारण करीब 38 हजार छात्रों के बोर्ड परीक्षा में कम शामिल होना ही है। छात्रसंख्या में कमी से परीक्षा केंद्रों की संख्या भी घटेगी। इधर, परीक्षा केंद्र बनाए जाने की डीआइओएस कार्यालय ने अपनी नीति स्पष्ट करते हुए राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों को ही वरीयता देने की घोषणा की है। इसी ने एक तरह से प्राइवेट विद्यालय संचालकों में खलबली मचाने का काम किया है।

पांच साल तक परीक्षा केंद्र निर्धारण की सूची से बाहर रहे 73 विद्यालय भी इस बार अपना दावा ठोंक रहे हैं। जिन्हें अधिक पंजीकरण कराने और नकल के आरोपों के चलते ही पांच साल के लिए डिबार किया गया था। पिछले वर्ष 218 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, इसमें सात राजकीय, 68 सहायता प्राप्त, 143 वित्त विहीन विद्यालय थे। इस वर्ष 50-60 परीक्षा केंद्र कम हो सकते हैं।


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