फिर अतिक्रमण तो कहीं डरते रहे दुकानदार
जागरण संवाददाता, मथुरा: होलीगेट क्षेत्र के सुंदरीकरण के लिए शनिवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान नहीं चलाय
जागरण संवाददाता, मथुरा: होलीगेट क्षेत्र के सुंदरीकरण के लिए शनिवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान नहीं चलाया गया, लेकिन नगर पालिका की अवैध निर्माण को ध्वस्त करने में लगी रही। प्रशासन ने मुनादी कराकर पुराने बस स्टैंड से डीग गेट तक के दुकानदारों को सचेत किया। इधर, दो दिन में जो अस्थायी अतिक्रमण साफ किए थे, वह फिर हो गए।
सिटी मजिस्ट्रेट राम अरज यादव ने बताया कि शनिवार को पालिका के ईओ बृजेश कुमार की व्यस्त थे, इसलिए अभियान नहीं चला, लेकिन रविवार को चलेगा। होलीगेट से भरतपुर गेट तक का इलाका लिया जा सकता है। इधर, प्रशासन ने लाउडस्पीकर से पुराने बस स्टैंड से लेकर डीग गेट तक मुनादी कराई और दुकानदारों को चेताया कि वे अपने अतिक्रमण स्वयं हटा लें, अन्यथा अभियान में जेसीबी ध्वस्त कर देगी।
अब सबसे ज्यादा खलबली भरतपुर गेट से लेकर डीग गेट तक के दुकानदारों में मची हुई है। यहां एक साइड में दुकानदारों ने पूरे फुटपाथ कब्जाए हुए हैं। अब तक के इतिहास में चले किसी भी अभियान में यहां सख्ती से कार्रवाई नहीं हो सकी है। दूरसंचार विभाग के कर्मचारी टेलीफोन के खंभों को हटाने और लाइनों को उतारने में लगे रहे। अभी भी होलीगेट से लेकर पुराने बस स्टैंड तक काफी खंभे लगे हुए हैं और बेकार ओवरहैड लाइनें पड़ी हुई हैं।
वहीं पालिका की टीमों ने रंगेश्वर मंदिर के आसपास दुकानदारों के बाहर निकले पटरे, स्थायी पत्थर को तोड़ दिया था, लेकिन अब फिर रंगेश्वर के सामने ही ढकेल और खोखा वालों ने दुकानें सजा लीं।
इनका है यह कहना
भरतपुर गेट से डीग गेट तक दुकानदारों ने फुटपाथ पूरी तरह कब्जाए हुए हैं। पता नहीं क्यों, जिला प्रशासन हर बार यहां आने से क्यों कतराता रहा है।
भूरा कुरैशी, दुकानदार।
दुकानदार न केवल फुटपाथों को घेरे हुए हैं, बल्कि अपनी दुकान के सामने ठेल और ढकेल लगाने वालों से वे महीनादारी भी वसूल रहे हैं। प्रशासन को यह खत्म करना चाहिए।
मनोज भाटिया, होटल संचालक
भरतपुर गेट से लेकर डीग गेट तक व्यस्त यातायात है, लेकिन यहां टेंपो चालक भी जाम लगाए रहते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। यहां सड़क पर चलना भी दूभर है।
बाबी कर्दम, राहगीर
डीग गेट के रास्ते में लोहे का काम करने वाले दुकानदारों ने तो हद ही कर दी है। इनकी वजह से फुटपाथ पर दो कदम चलना भी दूभर है। इस रास्ते में जाम रहता है। प्रशासन को इसे प्राथमिकता से सुधारना चाहिए।
नन्नू, राहगीर।