गाय और गिटार की डिजायन में ठाकुरजी की पोशाक
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): श्रद्धा का सावन मास शुरू होते ही भक्त विशेष पूजा पाठ में लग गए हैं
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): श्रद्धा का सावन मास शुरू होते ही भक्त विशेष पूजा पाठ में लग गए हैं। ठाकुरजी के लिए नई-नई पोशाकों की मांग निकलने लगी है। इसके लिए पोशाक और श्रृंगार का बाजार सज चुका है। पहली बार गाय और गिटार की तरह की पोशाक के साथ-साथ खाटू श्याम की पोशाक भी ठाकुरजी के लिए कारीगरों ने डिजाइन की है। यह जरी, सिल्क और रेशमी कपड़े पर मोती जड़कर तैयार की गई हैं। इधर, विदेशों से भी पोशाक के आर्डर कारोबारियों को मिलने लगे हैं।
श्रावण मास लगते ही वृंदावन में ठाकुरजी की पोशाक-श्रृंगार का बाजार गुलजार हो जाता है। हर दिन मंदिरों में पर्व-उत्सवों के आयोजन शुरू हो गए हैं। चारों दिशाओं से भक्तों को ठाकुरजी की भक्ति वृंदावन खींच कर ला रही है। वृंदावन में श्रद्धा और आस्था की समंदर हिलोर भर रहा है। बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है। खास करके इन दिनों ठाकुरजी की पोशाक-श्रृंगार बाजार चमक रहा है। नए कलेवर और डिजाइनों में ठाकुरजी के लिए पोशाक भी बाजार में आ गई हैं। भक्त अपने ठाकुरजी के लिए नाप की पोशाक खरीदने के लिए शोरूम पहुंच रहे हैं। हरियाली तीज, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और श्रीराधाष्टमी तक पोशाक-श्रृंगार का बाजार रौनक बनी रहेगी।
दो सौ करोड़ के कारोबार की उम्मीद
पोशाक-श्रृंगार के कारोबार से जुड़े मुकेश शर्मा कहते हैं नए कलेवर में आई पोशाकों की मांगी अधिक है। देश के बड़े शहरों के अलावा विदेशों से भी गाय, खाटू श्याम और गिटार का रूप में आई पोशाक की आर्डर बुक कराए जा रहे हैं। दो माह में पोशाक का करीब दो सौ करोड़ से अधिक का कारोबार मथुरा और वृंदावन होने की उम्मीद है।
तीन हजार कारखाने, 70 हजार कारीगर
वृंदावन में तैयार की जा रही ठाकुर जी की पोशाक को दुनियाभर के भक्त पंसद कर रहे हैं। पोशाक बनाने का कार्य वृंदावन, मथुरा और ग्रामीण इलाकों करीब तीन हजार से अधिक कारखानों चल रहा है। इसमें 70 हजार से अधिक कारीगर दिन-रात पोशाक बनाने में लगे हुए हैं।
इन देशों से मिल रहे आर्डर
अमेरिका, इटली, आस्ट्रेलिया, ¨सगापुर, हॉलैंड, रसिया, स्विटजरलैंड, हांगकांग और यूरोपीय देशों से पोशाक की डिमांड की जा रही है। वृंदावन से आर्डर पर पोशाक कुरियर और कार्गो से भेजी जा रही हैं।
सौ रुपये से बीस हजार तक की एक पोशाक
ठाकुरजी की पोशाक तरह-तरह की है। इनकी कीमत सौ रुपये से लेकर 20 हजार रुपये है। महंगी पोशाक सोने के तार का उपयोग होता है, इसके लिए अलग से आर्डर दिया जाता है। भक्त अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक पोशाक पहनाते हैं।
कहते हैं कारोबारी
-मां कृपा एंपोरियम के स्वामी अनुग्रह शर्मा कहते हैं सावन का महीना शुरू होते ही पोशाक की डिमांड में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। नई डिजाइन की आई पोशाक में खाटूश्याम, गाय और गिटार की डिजाइन अधिक पसंद की जा रही है।
पोशाक कारोबारी टीटू गौतम कहते हैं कि देश के बड़े शहरों के अलावा दूसरे देशों से भी बड़े स्तर पर हर दिन पोशाक की डिमांड आ रही है।
-दीपक अग्रवाल कहते हैं दो महीने तक पोशाक की बिक्री पूरे साल की बिक्री के बराबर होती है। सावन के महीने में जो भी श्रद्धालु आते हैं पोशाक जरूर खरीदते हैं।
-योगेश थोकदार कहते हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और श्रीराधाष्टमी के मौके पर ठाकुरजी को नई पोशाक पहनाई जाती है, इस दृष्टि से हर श्रद्धालु अपने ठाकुरजी की पोशाक खरीदता है। जो वृंदावन नहीं आ पाते है दूरभाष व इंटरनेट के जरिए अपनी पसंद की पोशाक बु¨कग करवाकर मंगवा रहे हैं।