नहरें सूखी, मुरझाई धान की पौध
मथुरा: धान के पौधों को नर्सरी से उठाकर खेतों में रोपाई करने का समय आ गया है, लेकिन नहरों में पानी की
मथुरा: धान के पौधों को नर्सरी से उठाकर खेतों में रोपाई करने का समय आ गया है, लेकिन नहरों में पानी की कमी से धान के पौधे नर्सरी में ही मुरझा रहे हैं। किसान निजी नलकूपों से पौधों को बचाने का संघर्ष कर रहे हैं।
जिले में करीब पचास हजार हैक्टेयर में चावल का उत्पादन किया जा रहा है। किसानों ने जून के पहले सप्ताह में ही धान की पौधे नर्सरी में तैयार करने के लिए बीज बिखेर दिया था। नर्सरी में पौधे 20 से 24 दिन तक के हो गए हैं। ¨सचाई के निजी साधन संपन्न किसानों ने धान की रोपाई का काम शुरू कर दिया है। तहसील मांट की ग्राम पंचायत करहारी, डडीसरा, डडीसरी, हरनौल, वीरवला, जावारा, वीरवला, लोहई, भालई, हसनपुर, मरहला, मोदीपुर, जरैलिया के किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है, जबकि नहरी जल पर निर्भर किसानों के लिए पौधे रोपने में दिक्कतें आ रही हैं। ¨सचाई के साधन न होने से उनके सामने नर्सरी में धान के पौधों को बचाना मुश्किल पड़ रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉली में पॉलीथिन डालकर पानी भरकर किसान सुबह-शाम नर्सरी में मुरझा रहे पौधे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
निचली मांट ब्रांच खंड गंगा नहर सूखी पड़ी है और इससे जुड़े अधिकांश राजवाह और माइनरों में भी पानी नहीं है। नहरी जल पर ही आश्रित धान उत्पादक किसानों ने बताया कि नहर में समय पर पानी नहीं छोड़ा गया, तो नर्सरी से उखाड़ कर पौधों को खेतों में रोपने के कार्य देरी होगी और इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। किसान हंसराज सिह, शैलेंद्र सिंह, विकल सिंह, रिषी सिंह धनपाल सिंह, भगत सिंह, अजीत मनीराम, गिल्ला सिंह मुकेश, कालू, किशोरी ने ¨सचाई विभाग के अधिकारियों से नहरों में पानी छोड़े जाने की मांग की है। साथ ही राजवाह और माइनरों की सफाई कराए जाने की भी गुहार लगाई है।
इनका कहना..
पानी के संसाधन होने पर किसान धान की रोपाई कर सकते हैं। रोपाई का काम पंद्रह जून तक पूरा कर लिया जाए। 1509 प्रजाति के धान के पौधों की रोपाई का काम जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही किया जाए। जल्दी रोपाई किए जाने से उत्पादन प्रभावित होगा।
डॉ. एसके मिश्रा
कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र।