स्कूलों में बिजली नहीं, गर्मी से बेहाल बच्चे
जागरण संवाददाता, मथुरा: सर्व शिक्षा अभियान का नारा बुलंद कर सरकार अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा दिला
जागरण संवाददाता, मथुरा: सर्व शिक्षा अभियान का नारा बुलंद कर सरकार अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा दिलाने को प्रयासरत है। लेकिन स्कूलों में लचर व्यवस्था शिक्षा की राह में रोड़ा अटका रही है। स्थित यह है कि स्कूलों में बैठने के लिए न तो छत है और न ही गर्मी से बचने के लिए कोई इंतजाम हैं। जनप्रतिनिधि और अफसर तो एसी कमरों में बैठकर विकास का खाका तैयार करते हैं, योजनाएं बनाते हैं। क्या वह खुद बिना पंखे के टिनशेड में कुछ वक्त गुजार सकते हैं।
मगर, अफसोस कि सरकारी स्कूलों के मासूम बच्चे इतनी तपिश भरी गर्मी में बिना पंखे के स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं। बच्चे कॉपी-किताबों से हवा करके गर्मी से राहत पाने का प्रयास करते नजर आते हैं। तो कहीं टूटी टिनशेड से झांकती धूप उनका बदन जला रही है। नगर पालिका परिषद से चंद कदम दूर और नगर पालिका बालिका इंटर कॉलेज की दीवार से सटे एक ही परिसर में तीन प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। जिनमें महात्मा गांधी प्राथमिक विद्यालय, लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय और कस्तूरबा गांधी प्राथमिक पाठशाला शामिल हैं। इन तीनों ही विद्यालयों में करीब एक सैकड़ा से अधिक बालक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन इन्हें सुविधा के नाम पर बैठने के लिए न तो फर्नीचर है और न ही गर्मी से राहत के काई इंतजामात। बच्चे जमीन पर पट्टी बिछाकर बैठते हैं। इन बालकों से जब गर्मी के हालात पर बात हुई तो एक बालक कन्हैया उठकर बोला, सुबह आने के साथ ही धूप टूटे हुए टीनशेड से जमीन पर पहुंचती हैं। इसी के बीच बैठकर सभी बच्चे पढ़ते हैं। कोशिश करते हैं धूप से बच सकें, मगर टीन शेड में इतने छेद हो चुके हैं कि धूप से बचना संभव ही नहीं हो पाता। सिर्फ यही नहीं, इन दिनों कूलर-एसी में बैठने वालों की भी हालत खराब है। ऐसे में ये गरीब बच्चे बिना पंखे के कई घंटे तक बैठे रहते हैं। स्कूल में पंखे तक नहीं लगे। पंखे हों भी तो क्या फायदा? यहां अब तक बिजली कनेक्शन ही नहीं हैं। सवाल उठता है कि क्या नेता और अफसर अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में पढ़ने के लिए एक दिन भी भेज सकते हैं। तभी तो इन्हें इन गरीब बच्चों पर रहम भी नहीं आता। इसके अलावा वृंदावन में दान-पुण्य करने वालों की भी कमी नहीं है। ढेरों समाजसेवी संस्थाएं हैं, लेकिन कोई दानदाता या समाजसेवी ऐसा नहीं आया अब तक जो इन बच्चों के लिए कुछ मदद कर सके।
इनका कहना है
-महात्मा गांधी प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका अनिशा कहती हैं कि टिनशेड में बैठना किसी सजा से कम नहीं। कई बार उच्च अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
- लालबहादुर शास्त्री विद्यालय की शिक्षिका पूनम गुप्ता कहती हैं कि गर्मी के मौसम में बिना पंखे के एक मिनट बैठना मुश्किल है। ऐसे में बच्चे पूरे छह से सात घंटे बड़ी कठिनाई के बीच गुजारते हैं।
- कस्तूरबा गांधी प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका बीना वर्मा का कहना है कि गर्मी हो या बरसात। इस विद्यालय में अध्ययन करने आने वाले बच्चों और शिक्षकों को तो परेशानी का सामना करना ही पड़ता है।