अयोध्या की तरह सिंहल को मथुरा से भी था लगाव
जागरण संवाददाता, मथुरा: विश्व ¨हदू परिषद के संरक्षक अशोक ¨सहल की श्रद्धांजलि सभा में एक बार फिर राम
जागरण संवाददाता, मथुरा: विश्व ¨हदू परिषद के संरक्षक अशोक ¨सहल की श्रद्धांजलि सभा में एक बार फिर राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठा। वक्ताओं ने कहा कि अयोध्या की तरह मथुरा से भी उन्हें लगाव था। राम मंदिर का निर्माण ही सिंहल को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मंगलवार को विहिप की चित्रकूट मसानी पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। विहिप के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री संगठन दिनेशजी ने श्री ¨सहल के कई संस्मरण सुनाकर उनकी यादों को ताजा किया। कहा कि जब विहिप में आया तो सिंहल जी से बहुत निकटता हो गई। उन्होंने श्रीरामजन्म भूमि, गो रक्षा, आदिवासी आदि के लिए आंदोलन किए। कैलाश मानसरोवर, वैष्णोदेवी आदि यात्राओं को लेकर शासन से बात करते थे। वह ¨हदुत्व की बात करते थे। अयोध्या में मंदिर निर्माण उनका सपना था। उनका संकल्प अवश्य पूरा होगा।
आरएसएस के प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश ने कहा कि सिंहल जी में कोई शक्ति थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ¨सह यादव ने कहा था कि अयोध्या में प¨रदा भी पर नहीं मार पाएगा, लेकिन वह फिर भी पहुंच गए।
संत फूलडोल महाराज ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन पर संतों को एक मंच पर लेकर आए थे। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका रही। चित्तप्रकाशानंद महाराज और नवलगिरी महाराज ने कहा कि वह ¨हद महासम्राट थे। वह ¨हदुत्व को समर्पित थे। श्रीराम मंदिर का निर्माण ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वक्ताओं ने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए जितने संवेदनशील रहते थे, उतने ही सजग श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर रहते थे। वर्ष 2013 में वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान आए थे।
इससे पूर्व श्रीराम-जयराम-जय-जय राम से श्रद्धांजलि सभा का शुभारंभ और शांति पाठ से समापन हुआ।
श्रद्धांजलि सभा को गो¨वदनानंद महाराज, आदित्यनाथ महाराज, चित्तप्रकाशानंद महाराज, रामप्रवेशदास, राजाबाबा, बांके बिहारी माहेश्वरी, पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता, राकेश चतुर्वेदी, प्रेम नागर, प्रयागनाथ चतुर्वेदी आदि ने संबोधित किया। संचालन ¨हदूवादी नेता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने किया। इस दौरान संजय अग्रवाल, प्रदीप श्रीवास्तव, लालचंद्र, बच्चू ¨सह, पूर्व पालिकाध्यक्ष वीरेद्र अग्रवाल, पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया, भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. डीपी गोयल, पूर्वमंत्री रविकांत गर्ग, चंद्रभान गुप्ता, बनवारीलाल आदि उपस्थित थे।
अस्थि कलश यात्रा आज
¨हदूवादी नेता अशोक ¨सहल की अस्थि कलश यात्रा बुधवार सुबह दस बजे सरस्वती शिशु मंदिर दीनदयाल नगर से शुरू होकर विश्रामघाट पहुंचेगी। यहां पर उनकी अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी।
संस्मरण में सिंहल
-वर्ष 1999 में बाल रामलीला कमेटी ने जन्मभूमि पर रामलीला महोत्सव करने के लिए अनुमति मांगी थी। जन्मस्थान ने तो अनुमति दे दी लेकिन प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी। आंदोलन हुए और जब बात ज्यादा बढ़ी तो अशोक ¨सहल मथुरा आए। कोसीकलां के निकट आने तक प्रशासन ने अनुमति दे दी थी।
गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, ¨हदूवादी नेता
-श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बाद जन्मस्थान पर भी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया। श्री ¨सहल हमेशा यह जानकारी लेते रहते थे कि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी तो नहीं हो रही। वर्ष 1997 में प्रशासन द्वारा बेरीके¨डग कराई गई और करीब साढ़े तीन एकड़ भूमि कब्जे में ले ली तो प्रशासन से वार्ता की। अदालत जाने की सलाह दी। वर्ष 2013 में जन्मस्थान आए थे।'
विजय बहादुर - जन्मस्थान के जनसंपर्क अधिकारी
-अशोक ¨सहल को मथुरा और श्रीकृष्ण जन्मस्थान से प्रेम था। वह मथुरा आते तो जन्मस्थान की बात करते थे। राम जन्मभूमि निर्माण की भी हमेशा ¨चता रहती। मथुरा वह अक्सर आते थे। धर्म संसद के माध्यम से सभी धर्मों के संतों को वह एक मंच पर लाए।'
ब्रजेंद्र नागर-धर्मयात्रा महासंघ ब्रज प्रांत के महामंत्री
-'अशोक ¨सहल का निधन बहुत बड़ी क्षति है। विश्व में उन्होंने ¨हदूओं की पहचान कराई। लोक सभा चुनाव से पहले उन्होंने वृंदावन में कहा था कि ¨हदुत्व की बात करने वाला ही देश का प्रधानमंत्री बनेगा। वह दीनदयाल धाम आकर भी बहुत खुश होते थे।'
पदमजी-निदेशक दीनदयाल धाम
-'वर्ष 2004 में सिंहल जी दीनदयाल धाम मेले में आए थे। कई घंटे रुके थे। मेला का निरीक्षण किया। कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर ¨हदुत्व और भारतीय संस्कृति को बनाए रखने की बात कही। उनके कार्य करने का तरीका निराला था।'
नरेंद्र ¨सहल- निवासी फरह