छलिया की किलकारी में तिथि का छल
जागरण संवाददाता, मथुरा: पूरे विश्व को अपनी लीलाओं से चमत्कृत करने वाले भगवान श्रीकृष्ण का 5242वां जन
जागरण संवाददाता, मथुरा: पूरे विश्व को अपनी लीलाओं से चमत्कृत करने वाले भगवान श्रीकृष्ण का 5242वां जन्मदिवस पांच सितंबर को भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की अर्धरात्रि में मनाया जाएगा। लेकिन काशी के कुछ पंचांगों के अनुसार अगले दिन 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण ने अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में अवतार लिया था। पचास साल बाद एक बार फिर ऐसा शुभ मुहूर्त पांच सितंबर को बन रहा है। जब दिन, तिथि, वार और नक्षत्र के अलावा तीन खास योग भी बनेंगे। गो¨वद देव पंचांग के निदेशक ज्योतिषी आचार्य कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी बताते हैं कि दृश्य पंचांग के अनुसार पांच सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। लेकिन काशी के पंचांगों की गणना से 6 सितंबर को भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी। यह तिथि मान में 6.24 घंटे के अंतर के कारण हुआ है। पांच सितंबर सुबह 3.56 बजे अष्टमी तिथि लगेगी और अगली सुबह रविवार 3.02 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र पांच सितंबर (4 सितंबर की रात) की सुबह 12.26 बजे आएगा और अगली रात यानि श्रीकृष्ण के जन्म समय तक रहेगा। इस बार जन्माष्टमी पर शनिवार का सूर्योदय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में होगा।
ज्योतिर्विद शालिनी द्विवेदी के अनुसार पांच सितंबर को सर्व सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग के अलावा हर्षल योग और बालवकरण भी रहेगा। रामानुज संप्रदाय और बल्लभकुल संप्रदाय के लिए अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी विशेष महत्व वाली मानी जाती है। इस दिन तमाम शुभ योगों के कारण पूजन के अलावा व्रत और खरीदारी भी अच्छा फल देने वाली रहेगी। उन्होंने बताया है कि वैष्णव परंपरा और ब्रज के अक्षांश और रेखांश के अनुसार शनिवार को ही जन्माष्टमी मनानी चाहिए। गौड़िया मठ अनुयायी रविवार को जन्माष्टमी मनाएंगे।
पंचांगों के मतांतर के कारण मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारिकाधीश मंदिर समेत अधिकांश बृजवासी पांच सितंबर और वृंदावन के बांके बिहारी, राधारमण मंदिर और शाहजी मंदिर समेत कुछ अन्य में रविवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनायी जाएगी।
पंचांग ने बदली बांकेबिहारी में उत्सव की तिथि
वृंदावन: बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी के अनुसार काशी विश्व पंचांग में सूर्योदय के अनुसार तिथियों को माना जाता है, जबकि ¨हदू विश्व पंचांग में तिथि बदलने के अनुसार पर्व मनाए जाते हैं। इसलिए काशी ¨हदू पंचांग में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव छह सितंबर को मनाने का प्रावधान रखा गया है। इसी आधार पर बांकेबिहारी मंदिर में छह सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाए जाने का निर्णय सेवायतों द्वारा लिया गया है।