बम-बम भोले से गूंजेंगे शिवालय
जागरण संवाददाता, मथुरा: शिव देवों के देव हैं। महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश आदि इनके नाम हैं। भगवान शि
जागरण संवाददाता, मथुरा: शिव देवों के देव हैं। महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश आदि इनके नाम हैं। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य एवं रौद्र रूप दोनों के लिए विख्यात हैं। शिव का महीना तो शनिवार से शुरू हो चुका है लेकिन सोमवार को शिवालय हर-हर-बम-बम और भोले बाबा के जयकारों से गूजेंगे।
मथुरा नगर के चार द्वारपाल कहे जाने वाले रंगेश्वर, भूतेश्वर, गर्तेश्वर, गोकर्णनाथ शिव मंदिरों में आकर्षक सजावट की गई है। इन शिव मंदिरों में सुबह से ही जल चढ़ाने की शुरूआत हो जाएगी। सायं को मंदिरों में फूल बंगला के दर्शन होंगे। शिव को जल, बेल पत्र, फूल, पंचामृत आदि का अर्पण और व्रत रखकर श्रद्धालु भगवान शिव से सुख- समृद्धि की प्रार्थना करेंगे। पहले सोमवार को मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। इसके मद्देनजर रविवार को दिन भर तैयारियां चलती रहीं। सोमवार को दिन भर पूजन का दौर चलता रहेगा। रात्रि को महाआरती की जाएगी। प्रमुख मंदिरों के अलावा क्षेत्रीय मंदिरों में भी शिव भक्तों की कतार रहेगी। उनको भी सजाया-संवारा गया है। भगवान भोले के भक्तों ने रविवार को पूजन सामग्री की खरीदारी भी कर ली। गत्र्तेश्वर मंदिर के महंत बालकृष्ण शर्मा ने बताया कि सावन के सोमवार के लिए मंदिर में तैयारियां कर ली गई हैं।
शिव मंदिरों पर रहेगा पुलिस बल तैनात
शिव मंदिरों पर दिन भर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा। रात्रि में फूल बंगला के आयोजन होंगे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए शिव मंदिरों के बाहर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाएगा। एसपी सिटी शैलेष कुमार पांडेय ने बताया कि शिव मंदिरों पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात किया जाएगा।
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20 रुपये किलो बिका धतूरा
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मथुरा: सावन के महीने में भगवान शिव को चढ़ने वाले धतूरे के फल ने रविवार को बाजार में अपनी आमद दर्ज कराई। रविवार को मंडी में धतूरे के फल के भाव बीस रुपये किलो तक बोले गए। सोमवार को शिवालयों में धतूरे के फल से पूजा-अर्चना की जाएगी। धतूरा शिव का प्रिय है। पूजा-अर्चना के लिए व्यापारियों ने जंगलों से फल तोड़कर मंगाए हैं। धतूरे के फल के संबंध में एक कहावत है कि 'कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय वा खाये बौराए जग वा पाए बौराय'। कनक के यहां दो अर्थ है। एक कनक का अर्थ सोना और दूसरे को धतूरा है। अधिक सोना मिलने या फिर धतूरे का फल खाने से व्यक्ति की मानसिक हालत प्रभावित हो जाती है। जलवायु परिवर्तन धतूरे के पौधे लगभग विलुप्ति के कगार पर हैं। अब यह जंगलों में कम ही दिखाई पड़ रहे हैं। शास्त्रों में भी धतूरे का जिक्र मिलता है। भगवान शिव भांग के साथ धतूरे का भी सेवन करते थे। यही वजह है कि सावन के महीने के चारों सोमवार को शिवालयों में धतूरे का फल भी चढ़ाया जाता है। हालांकि आयुर्वेद में धतूरे को औषधि गुणों की खान माना गया है।