तीर्थो का संगम ब्रज चौरासी कोस
जागरण संवाददाता, मथुरा: ब्रज धाम चारों धामों से निराला है। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा करने वाले श्रद्ध
जागरण संवाददाता, मथुरा: ब्रज धाम चारों धामों से निराला है। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को यहां सभी धाम और तीर्थो के भी दर्शन हो जाते हैं। चातुर्मास में ब्रज अलौकिक हो जाता है। इन महीनों में सभी देवी-देवता ब्रज में ही वास करते हैं। मान्यता है कि इन महीनों में चौरासी कोस की यात्रा करने वालों को कदम-कदम पर अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।
ब्रज में बदरीनाथ, आदिब्रदी, गंगोत्री, यमुनोत्री, ज्योतिर्लिंग, सातों पुरी, शक्तिपीठ आदि के दर्शन होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि श्रीकृष्ण और राधा नित्य ब्रज में विराजते हैं। उनके दर्शन को सभी तीर्थ यहां विराजमान हैं। सावन-भादों में तो ब्रज की छटा अनोखी हो जाती है। मंदिरों में झूले, ¨हडोले, रासलीलाएं, मल्हार गायन, सत्संग आदि की धूम रहती है। तीर्थ पुरोहित महासंघ के ब्रज मंडल प्रभारी अजय चतुर्वेदी ने बताया कि ब्रज चौरासी कोस यात्रा में चारों धाम विराजमान हैं। पुरोहित लालजी भाई शास्त्री और महेंद्र पाठक बताते हैं कि चातुर्मास में तो सभी देवी-देवताओं का वास ही ब्रज में रहता है।
यह है चातुर्मास
सावन, भादों, क्वार, कार्तिक के महीने में ब्रज का नजारा बैकुंठ से भी ज्यादा भव्य होता है। इस बार एक अगस्त से सावन शुरू हो रहा है। इन चार माह में लगातार ब्रज चौरासी कोस की यात्रा श्रद्धालु करते हैं।
यह है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि बुजुर्ग होने पर नंदबाबा और यशोदा मैया ने भगवान श्रीकृष्ण से तीर्थ यात्रा करने की इच्छा जाहिर की थी। इस पर भगवान ने इच्छा पूर्ति करने को सभी देवी-देवताओं का आह्वान किया और चौरासी कोस में सभी देवी-देवता आ गए। धार्मिक मान्यता है कि अब भी चातुर्मास में सभी देवी-देवताओं का ब्रज में वास रहता है। तब उन्होंने ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा की थी। तभी से ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा का भी शुभारंभ माना जाता है।
सभी तीर्थ हैं यहां
बदरीनाथ , आदि बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री कामां में, तो ज्योतिर्लिंग विश्रामघाट पर मौजूद है। विश्रामघाट पर ही अयोध्यापुरी, काशी, हरिद्वार, अवंतिका, उज्जैन, द्वारिका आदि के दर्शन प्राप्त होते हैं।